नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रविवार को दिल्ली में विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि बच्चों में बहुत ऊर्जा, शक्ति और क्षमता होती है। उनकी इन्हीं योग्यताओं का प्रयोग कर पर्यवारण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाना होगा। केवल कानून या निर्णय लेने से कोई बदलाव नहीं आएगा जब तक आमजन इसे स्वीकार नहीं करता। उन्होंने दिल्ली के शिक्षामंत्री रहते हुए किए गये प्रयासों से बताया कि कैसे बच्चे इस जागरुकता अभियान चलाकर इसे आम जन से जोड़ सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण को केवल एक दिन तक सीमित न करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें जीवन के हर क्षण में इसके लिए प्रयास करना होगा वह भी निरंतरता के साथ करना होगा। उन्होंने कहा कि आज विश्व पर्यावरण दिवस को अपनाये हुए 40 से अधिक वर्ष हो चुके हैं यदि हमने गंभीरता से प्रयास किये होते तो आज पेरिस जैसे प्रोटोकॉल की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री मोदी के किए गए वादों को पूरा करेगा।
हाल ही में पर्यावरण मंत्री का पदभार संभालने वाले डॉ. हर्षवर्धन अपने मंत्रालय की भूमिका को केवल नियामक तक सीमित नहीं रखना चाहते वह चाहते हैं कि पर्यावरण मंत्रालय जागरुकता अभियानों से भी जुड़े। उन्होंने कहा, ‘हम मंत्रालय को नियामक के तौर पर या उसके काम को नियम बनाने तक सीमित नहीं रखना चाहते बल्कि इसके माध्यम से देश के 125 करोड़ लोगों को जागरूक करना चाहते हैं।'
गीतों को भावना जागृत करने का माध्यम बताते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हम प्रेरणादायक गीतों से प्रकृति संरक्षण के कार्यक्रम को आंदोलन के तौर पर देशभर में ले जा सकते है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों से सीखने की जरूरत है। जिनके चलते हम स्वभाविक तौर पर स्वयं ही प्रकृति से जुड़े हुए थे। लेकिन बाद में हमने अपनी नासमझी के कारण प्रकृति को नुकसान पहुंचाया।
विश्व पर्यावरण दिवस के लिए इस वर्ष का थीम है ‘प्रकृति से जनमानस का जुड़ाव’। आज के कार्यक्रम में पोस्टर मेकिंग प्रीतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा कुछ पुस्तकों का विमोचन और एक एप लॉन्च किया गया।
इस अवसर पर मंत्रालय में सचिव अजय नारायण झा ने कहा कि आज लोग प्रकृति के महत्व को समझ रहे हैं जिससे लोग प्रकृति के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। इस वर्ष के थीम का मकसद भी लोगों को प्रकृति से जोड़ना है। पंच भूतों को सम्मान और स्थान देना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रकृति से जुड़ कर हम बेहतर जीवन जी सकते है। जीवन से जुड़े दवावों और अन्य कारणों से हम प्रकृति से दूर हो जाते है आज के दिन का मकसद उन बाधाओ को दूर करना है।
उल्लेखनीय है कि 1972 में वैश्विक सम्मेलन में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में अपनाया गया था। इस अवसर पर पर्यावरण मंत्रालय पूर्व मंत्री अनिल माधव दवे की इच्छा के अनुरुप देहरादून में कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस अवसर पर बाल भवन के छात्रों ने प्रकृति वंदना से उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया।