लखनऊ, (हि.स.)। ठिठुरन भरी ठंड से बचाव करना आवश्यक है। कड़ाके की ठंड के कारण कई केस सामने आ रहे हैं, जिसे ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। इसका पता तभी चलता है, जब मरीज को परिजन डॉक्टर के पास ले जाते हैं। चिकित्सकों की मानें तो सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या गर्मियों की अपेक्षा काफी बढ़ जाती है। सर्दियों में इनकी संख्या लगभग दोगुनी हो जाती है।
डा. राम मनोहर लोहिया संस्थान के न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि इस बीमारी की वजह से दिमाग की किसी रक्त नलिका में रक्त का जमाव हो जाता है। इसके कारण रक्त का बहाव नहीं हो पाता। इससे उस रक्त नालिका से जुड़े शरीर के अन्य भाग काम करना बंद कर देते हैं। उन्होंने ब्रेन स्ट्रोक का ठंड से सीधा जुड़ाव बताते हुए कहा कि सर्दियों में रक्त गाढ़ा हो जाता है। शरीर को गर्म रखने के लिए रक्तचाप भी बढ़ जाता है। वहीं ठंड के मौसम में लोग बेहतर स्वास्थ्य के लिए ज्यादा कैलोरी युक्त भोजन लेने लगते हैं। इससे कॉलेस्ट्रॉल काफी तेजी से बढ़ता है।
डा. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सर्दियों में अधिक खाना, शराब का अधिक सेवन और अधिक तनाव हृदय रोगों को आमंत्रण देते हैं। वहीं इस मौसम में ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं। इससे रक्त प्रवाह में रूकावट आती है और रक्त के थक्के बनने की आशंका अधिक हो जाती है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
ब्रेन स्ट्रोक होने की स्थिति में व्यक्ति के शरीर के किसी भाग में अचानक कमजोरी, तुतलाना, बेहोशी या कम दिखाई देने आदि के लक्षण देखे जाते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
बरतें सावधानी
सर्दियों में इस बीमारी से बचने के लिए लोगों को चाहिए कि वे अपने कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण रखें। इसके साथ-साथ तनाव मुक्त जीवन जीने की सलाह दी जाती है। तनाव का भी असर ब्रेन स्ट्रोक पर पड़ता है।
अगर किसी को भी दौरा पड़ता है तो मरीज को स्ट्रोक के साढ़े चार घंटे के अंदर ही अस्पताल पहुंचाएं। ऐसे में डॉक्टर तुरंत धमनियों के माध्यम से दवाइयां देते हैं, जो मस्तिष्क में जाकर रक्त के थक्के के तोड़ देती हैं।