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बासंतिक चैत्र नवरात्र की तैयारियां हुईं पूरी
By Deshwani | Publish Date: 27/3/2017 12:01:46 PM
बासंतिक चैत्र नवरात्र की तैयारियां हुईं पूरी

वाराणसी, (हि.स.) । काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी आदि शक्ति के पूजन अर्चन के लिए तैयार है। मंगलवार की शाम से शुरू हो रहे बासंतिक चैत्र नवरात्र पर तड़के बुधवार से भगवती के गौरी स्वरूप की आराधना शुरू हो जायेगी। मां के अनुपम अलौकिक स्वरूप के पूजन अर्चन के लिए घरों और देवी मंदिरों में साफ सफाई पूजन सामग्री की व्यवस्था करने में सोमवार को लोग दिन भर जुटे रहे।

धर्म नगरी में चैत्र नवरात्र के दो दिन पहले ही शहर के प्रमुख देवी मंदिरों के बाहर पूजा सामग्री और चुनरियों की स्थाई और अस्थाई दुकानें सज गई हैं। नवरात्र के नौ दिनों में अलग-अलग देवी के गौरी स्वरूपों की पूजा को देख चुनरी कई वेराइटी में उपलब्ध है। चेतगंज पर पूजन सामग्री बेचने वाले अशोक ने बताया कि सितारा लगी चुनरी , घुंघरू वाली , इंटरलॉक चुनरी से लेकर साड़ी के साइज तक की चुनरी बाज़ार में उपलब्ध है। लेकिन मांग पुरानी गोटे वाली चुनरी की है। इसके साथ ही स्टोन वर्क वाली चुनरी भी महिलाओ को भा रही है। बताया कि 10 रूपये से लेकर हज़ार रुपये तक की चुनरी उपलब्ध है। पहले दिन मां के गौरी स्वरूप मुखनिर्मालिका गौरी का दर्शन-पूजन का विधान है इनका मंदिर गायघाट क्षेत्र में अवस्थित है। इसी दिन भगवती के शैलपुत्री स्वरूप का भी दर्शन पूजन होता है। दुसरे दिन ज्येष्ठा गौरी के दर्शन पूजन का विधान है। इनका मंदिर सप्तसागर (कर्णघंटा) काशीपुरा में है।

इसी दिन आदि शक्ति स्वरूप नवदुर्गा पूजन अर्चन के क्रम में श्रद्धालु ब्रम्हाघाट स्थित ब्रम्हचारिणी देवी के दरबार में भी हाजिरी लगायेंगे। इस बार 29 मार्च को ही एक तिथि क्षय होने से आठ दिनी नवरात्र के चलते शक्ति स्वरूपा दोनों गौरी के दर्शन पूजन होंगे। बासंतिक चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन (तृतीया) को माँ दुर्गा के चन्द्रघण्टा रूप की पूजा होती है। नवगौरी के दर्शन पूजन में सौभाग्य गौरी का दर्शन पूजन होता है। नवरात्र के चौथे दिन (चतुर्थी) को माँ श्रृंगार गौरी का पूजन अर्चन होता है। इनका मंदिर ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद के पीछे हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन से महिलाओं का श्रृंगार वर्ष भर बना रहता है। माँ दुर्गा का चौथा रूप कूष्माण्डा है। दुर्गाकुंड स्थित देवी के विग्रह स्थल पर इसी दिन लाखो श्रद्धालु पहुंचते है। पांचवे दिन मीरघाट स्थित विशालाक्षी गौरी तथा जैतपुरा स्थित स्कन्द माता के दरबार में श्रद्धालु हाजिरी लगाते है। छठवां दिन है ललिता गौरी का, जिनका मंदिर ललिता घाट क्षेत्र में अवस्थित है। इसी दिन भगवती कात्यायनी के दर्शन पूजन का विधान है। सातवें दिन भवानी गौरी और मां कालरात्रि के दर्शन पूजन का विधान है। जिनका मंदिर विश्वनाथ गली में श्री राम मंदिर में है। आठवें दिन मंगला गौरी जिनका मंदिर पंचगंगा क्षेत्र में स्थित है। इसी दिन महागौरी और मां अन्नपूर्णा के दर्शन पूजन का विधान है। नौवां दिन महालक्ष्मी गौरी का पूजन अर्चन होता है। इनका मंदिर लक्ष्मी कुंड, लक्सा में अवस्थित है। नवदुर्गा पूजन के क्रम में भगवती सिद्धिदात्री का दर्शन पूजन होता है इनका मंदिर गोलघर मैदागिन में है। 

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