नई दिल्ली, (हि.स.)। देशभर में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक मुख और गले के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं|इनमें से 50 प्रतिशत की मौत बीमारी की पहचान के अंतराल में ही हो जाती है। इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का कारणों में भी मुंह व गले का कैंसर मुख्य है। मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
गुरुवार 27 जुलाई को विश्व गला व सिर कैंसर दिवस है। ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2)2017 द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश की 96 प्रतिशत युवा आबादी जानती है कि चबाने वाले तंबाकू उत्पाद ही गंभीर बीमारियां (कैंसर) का कारण बनती हैं।
ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गत सात वर्षो में 15 साल से अधिक उम्र के 19.9 करोड़ लोग किसी न किसी रुप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं| 96.4 प्रतिशत युवा वर्ग जानता है कि चबाने वाला तंबाकू ही गंभीर बीमारियों (कैंसर) का कारण है।
गेट्स का इससे पहले 2009-10 में सर्वे हुआ था जिसके सात साल बाद दूसरा सर्वे 2016-17 में हुआ जो हाल ही में रिलीज हुआ। यह सर्वे भारत सरकार के द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा कराया है। यह सर्वे देश के 30 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। 74 हजार 73 लोगों पर इसका सर्वे किया गया। जिसकी आयु 15 वर्ष से अधिक थी।
सरकार के द्वारा जनहित में इन उत्पादों पर लिये गए निर्णय से भारत में बढ़ते मुंह व गर्दन के कैंसर को कम करने में अहम भूमिका साबित हुई है।
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी)के स्टेट पैटर्न व कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. हरित चतुर्वेदी के अनुसार देशभर में लाखों लोगों में देरी से इस बीमारी की पहचान, अपर्याप्त इलाज व अनुपयुक्त पुनर्वास सहित सुविधाओं का अभाव है। करीब 30 साल पहले तक 60 से 70 साल की उम्र में मुंह और गले का कैंसर का कैंसर होता था लेकिन अब यह उम्र कम होकर 30 से 50 साल तक पहुंच गई है। आजकल 20 से 25 वर्ष के कम उम्र के युवाओं में स्मोकिंग को फैशन व स्टाइल आइकान मानना है। मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
भारत में पूरे विश्व की तुलाना में धूम्ररहित चबाने वाले तंबाकू उत्पाद (जर्दा, गुटखा, खैनी) का सेवन सबसे अधिक होता है। यह सस्ता और आसानी से मिलने वाला नशा है। पिछले दो दशकों में इसका प्रयोग अत्यधिक रुप से बढ़ा है, जिस कारण भी सिर और गले कैंसर के रोगी बढ़े हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा किया गया है कि पुरुषों में 50 और स्त्रियों में 25 प्रतिशत कैंसर की वजह तम्बाकू है। इनमें से 60 प्रतिशत मुंह के कैंसर हैं।
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रोफेसर और कैंसर सर्जन डा. पंकज चतुर्वेदी जो इस अभियान की अगुवाई वैश्विक स्तर पर कर रहे हैं, कहते हैं कि सिर और गले के कैंसर के नियंत्रण के लिये सरकारों, एनजीओ, चिकित्सा व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों, शिक्षा व उघोग संस्थानों सहित बहु क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है। कैंसर पर प्रभावी नियंत्रण और इलाज की और वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिये अंतर्राष्टीय फेडरेशन ऑफ हेड एण्ड नेक ऑनोलोजिक सोसाईटिज -आईएफएचएनओएस- ने जुलाई 27 को विश्व सिर, गला कैंसर दिवस -डब्ल्यु एचएनसीडी- के रूप में मनाये जाने का प्रस्ताव रखा और आज यह मनाया जाने लगा है। फेडरेशन को इसके लिये अनेक सरकारी संस्थानों, एनजीओ, 55 से अधिक सिर व गला कैंसर संस्थानों व 51 देशों का समर्थन प्राप्त है।