- कहा- विभाग पहले दर में संशोधन करे, बाजार रेट निर्धारित करे
चिरैया। अर्चना रंजन
राज्य सरकार के आदेश पर शिक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार से सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना के तहत विद्यालय के बच्चों को सप्ताह में एक दिन अंडा खिलाने का आदेश दिया था, लेकिन जिसको लेकर प्रखंड के लगभग सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों ने शुक्रवार को प्रखंड मुख्यालय में एक आवश्यक बैठक की। बैठक में एक स्वर में अंडा खिलाने की योजना का बहिष्कार कर दिया गया। प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों व शिक्षक संगठन के नेताओं ने कहा कि सरकार सबसे पहले अंडा का दर 5 रुपए निर्धारित किया है उसमें सुधार करें। क्योंकि बाजार में अभी अंडे की दर 160 रुपए प्रति कैरेट है, जो सरकारी दर से ज्यादा है। वहीं अंडा दुकानदार जीएसटी बिल भी देने में असमर्थ है। बहुत सारे ऐसे विद्यालय हैं, जहां अंडा ले जाने के क्रम में हीं बहुत सारे अंडे बीच रास्ते में हीं टूट-फूट जाना तय है। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया की सरकार सर्वप्रथम अंडे की दर को बाजार के दर के अनुसार निर्धारित करें या फिर विद्यालयों को बीआरसी स्तर से उबाला हुआ अंडा उपलब्ध कराया जाए। बीआरपी कार्तिक कुमार ने बताया कि शुक्रवार को मध्य विद्यालय मीरपुर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय कपुरपकड़ी, मिश्रौलिया, पटजिलवा कन्या, नवसृजित प्राथमिक विद्यालय मलूटोला आदि सहित 12 विद्यालयों का निरीक्षण किया, जिसमें से मात्र 6 विद्यालय में अंडा बनाया गया था। बांकी में अंडा नही बना था। प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों व शिक्षक संघों ने कहा कि सरकार व विभाग अगर अंडा की दरों को बाजार भाव से संशोधित नहीं किया और इस योजना को चालू रखा तो बच्चों को अंडा तो नही हीं मिलेगा, बल्कि उस अंडे को कुछ विद्यालय के प्रधानाध्यापक खाएंगे कुछ एमडीएम प्रभारी खाएंगे तो कुछ जांच करने वाले पदाधिकारी खाएंगे। यह योजना सिर्फ व सिर्फ लूट की योजना बनकर रह जाएगी। बैठक में एचएम सह परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के प्रदेश सचिव जयप्रकाश नारायण, बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष भारत भूषण यादव, टीईटी-एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष कार्तिक कुमार, मदन मोहन साह, लक्ष्मीनारायण निषाद, धीरज कुमार, मनोज ठाकुर, धीरेंद्र कुमार सिंह, रामचंद्र राम, राधाकिशुन प्रसाद, मो. नईमुद्दीन, रामकिशुन राम, अबुल कासिम, कन्हैया प्रसाद आदि सहित दर्जनों विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, शिक्षक व विभिन्न शिक्षक संगठनों के नेता मौजूद थे।