ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
गांधी दर्शन को आत्मसात करें हर नागरिक, तभी बदलेगी देश की सूरत: चिंतक
By Deshwani | Publish Date: 4/11/2017 7:50:26 PM
गांधी दर्शन को आत्मसात करें हर नागरिक, तभी बदलेगी देश की सूरत: चिंतक

- घोड़ासहन के भेलवा में आयोजित हुआ चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह सह संगोष्ठी
 

घोड़ासहन। राजू सिंह

आजादी के सौ वर्ष बाद भी गरीबी चरम पर है। यह तभी दूर होगी, जब देश के नागरिक गांधी दर्शन को आत्मसात करेंगे। उक्त बातें वरीय गांधीवादी चिन्तक कुमार प्रशांत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि चम्पारण के ऐतिहासिक गांव भेलवा कोठी अवस्थित गांधी उच्च विद्यालय के मैदान में शनिवार को चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह सह संगोष्ठी के अवसर पर कही। इसके पूर्व कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन गांधी प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत व राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई दिल्ली की अध्यक्ष अन्नामलाई, मोतिहारी गांधी संग्रहालय के सचिव सह बिहार सरकार के पूर्व मंत्री ब्रजकिशोर सिंह, संजय सिंह पटेल व आगन्तुक मुख्य अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। वहीं समारोह सह संगोष्ठी का आगाज पंडित सुरेश त्रिपाठी द्वारा शांति पाठ से किया गया। समारोह को संबोधित करते युवा गांधीवादी विचारक सह ढाका विधान सभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी राम पुकार सिन्हा ने कहा कि नील का दर्द आज के युवाओं को याद रखने की जरूरत है। महात्मा गांधी ने आज से करीब सौ साल पहले भेलवा कोठी के भटीनिया से सत्याग्रह की नींव रखकर किसानों को अंग्रेजों के दमन से मुक्ति दिलाई थी। आज जरूरत है गांधीजी के विचारों पर सार्थक बहस कर सही मार्ग चुनने का। अंग्रेजों के समय तीन कठिया नियम था। जिसका साफ मतलब था एक बीघा में तीन कट्ठा में नील लगाना है और अंग्रेजों को देना है। जिस खेत में भी तीन-चार साल नील की खेती जाती थी, उसमें अनाज की उपज नहीं होती थी। वह भूमि बंजर किस्म का हो जाता था तथा अंग्रेजों द्वारा नील की खेती के लिए उस किसान के दूसरे भू-खंड का चयन किया जाता था। साल दर साल उस किसान की भूमि अनफरटाईल होती चली जाती थी। यहीं है किसानों के नील का दर्द। समारोह को संबोधित करने वाले अन्य वक्ताओं में हरसिद्धि के पूर्व विधायक व वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी युगलकिशोर सिंह, गांधी संग्रहालय के सचिव ब्रजकिशोर सिंह, आरडीएस कॉजेल के डॉ एस के पाल, सहित दर्जनों गांधीवादी विचारक शामिल थे। वहीं स्थानीय ज्ञान ज्योति के छात्रों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। जिसमें सभी धर्मो के लोगों द्वारा अलग-अलग भाषाओं में प्रार्थना व अंग्रेजों का जुल्म नाटक दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जेएलएनएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. मुरलीधर उपाध्याय ने की। जबकि संचालन आरडीएस कॉलेज मुजफ्फरपुर के पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ केके झा ने किया।  स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष किशोर पांडेय, प्रो.संजय सत्यार्थी, रंजन शर्मा, राय सुंदर देव शर्मा, संजय ठाकुर, अमरेन्द्र सिंह आदि मौजूद थे।     

image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS