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2022 तक निश्चित रूप से होगा नये भारत का निर्माण : राधामोहन
By Deshwani | Publish Date: 8/10/2017 7:03:27 PM
2022 तक निश्चित रूप से होगा नये भारत का निर्माण : राधामोहन

- आर्द्रभूमि मत्स्य पालन विकास पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण में बोले कृषि मंत्री- होगा चार जलभूमि का विकास,
2.86 करोड़ की है परियोजना



पीपराकोठी। सौरभ राज पप्पू


 2022 तक नये भारत का निश्चित रूप से निर्माण होगा। उस समय तक निचले स्तर पर जीवन बसर कर रहे लोगों का निश्चित रूप से विकास होगा। अपने देश में जलभूमि में मछली पकड़ने के माध्यम से लाखों लोगों को आजीविका मिलती है। अधिकतर नदियाँ मन तालाब जलभूमि के रूप में उपलब्ध है लगभग देश के समतली मैदानों में 4 लाख हेक्टेयर जलभूमि है।  इस जलभूमि में मत्स्य पालन एवं मछली पकड़ने के तहत पारंपरिक रूप से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। उक्त बातें स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में रविवार को एनएफडीबी के तत्वावधान में आयोजित सहभागिता के माध्यम से आर्द्रभूमि मत्स्य पालन विकास पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण के समापन समारोह के अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  राधा मोहन सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि आजीविका से जुड़े हुए लोगों की आमदनी बढ़े, इसके लिए पूरे देश में नीली क्रांति के अंदर राज्य सरकारों के माध्यम से कई योजनाएं चल रही है, किन्तु भारत सरकार ने मोतिहारी में चार जलभूमि(मन) के विकास के लिए तीन वर्षों के अवधि के लिए एक परियोजना मंजूर की है। इसकी लागत लगभग 3 करोड़ होगी।  इस परियोजना के लिए 7 पेशेवर स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। इस परियोजना के तहत चारों मनों में 24 पिजरे में पालन, 12 पेन एवं 8 हेक्टेयर की नर्सरी निर्मित की जाएगी। 650 परिवारों को इससे न सिर्फ आजीविका मिलेगी, बल्कि उनकी आय भी दुगुनी से ज्यादा हो जाएगी। इस परियोजना के प्रारम्भ के पूर्व तीन दिनों से कृषि विज्ञान केंद्र पीपरा कोठी में एक प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। चार जलभूमि रुलही, सिरसा, कररिया एवं मझरिया के 70 लोग प्रशिक्षण ले रहे थे। मौके पर मंत्री श्री सिंह ने प्रशिक्षण के समापन समारोह में आज उसके समारोह के अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र दिया। मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक बसंत कुमार दास ने मंत्री श्री सिंह को पौधा व मोमेंटो देकर सम्मानित किया। समापन समारोह में मुख्य रूप से जिला मत्स्य पदाधिकारी शिया शरण सिंह, वैज्ञानिक अरविंद कुमार सिंह, आरबी शर्मा, गणेश चन्द्रा, सुमन कुमारी, मुखिया रवीन्द्र सहनी, राजू बैठा, हिमांशु सवाईन मौजूद थे।

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