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बिहार
बाढ़ पीड़ितों का हाल : कुछ पूछो तो छलक जा रहीं आंखें, चेहरे पर साफ दिख रही पीड़ा
By Deshwani | Publish Date: 23/8/2017 8:01:52 PM
बाढ़ पीड़ितों का हाल : कुछ पूछो तो छलक जा रहीं आंखें, चेहरे पर साफ दिख रही पीड़ा

इस हालात में रह रहे बाढ़ पीड़ित

- दाल-भात क्या, अगर सूखा चूड़ा भी मिल जाए तो शरीर को मिल जाए संजीवनी
- माल-मवेशी संग सड़क पर जैसे-तैसे गुजर रहे दिन, टूटने लगा है सब्र
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मोतिहारी। सचिन कुमार सिंह


करीब दस दिनों से भयंकर तांडव मचा रही नदियों का कोप बहुत हद तक शांत हो गया है। कुछ गांवों से बाढ़ का पानी भी हट गया है, अपनी तबाही के निशान छोड़ते हुए। मगर अभी भी बहुत से गांव पूरी तरह जलमग्न हैं, हां, राहत बस इतनी की पानी धीरे-धीरे घटने लगा है, मगर बाढ़ प्रभावित लाखों की आबादी के िलए अभी अपनी िजंदगी को वापस पटरी पर ला पाना उतना आसान नहीं दिख रहा। घर-बार, पैसा-पूंजी, अनाज- कपड़े व खेतों मेें लगी फसल सभी एक साथ एक झटके में खत्म हो चुकी हैं। अभी तो बस भूख व प्यास ने शरीर को बेजान बना रखा है। बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं, तो बूढ़े व असहायों की हालत भी दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। अभी तो स्थिति यह है कि भूख-प्यास से बिलबिला रहे लोग बस यहीं कह रहे हैं किदाल-भात तो छोड़िए, अगर कहीं से सूखा चूड़ा मिल जाय तो उसे फांक कर जैसे-तैसे काट ले दिन। यह हाल किसी एक जगह की नहीं वरन बाढ़ प्रभावित सभी प्रखंडों का है।
पीपराकोठी-गोपालगंज फोरलेन और  मोतिहारी-बेतिया एनएच -28 ए, मोतिहारी-मधुबनीघाट पथ समेत उंची स्थानों पर हजारों लोग शरण लिए हुए हैं।  अरेराज,संग्रामपुर, केसरिया प्रखंड की बड़ी आबादी ने तटबंध पर शरण ले रखी है। सैकड़ों परिवार रात-दिन आंखों में काट रहे हैं। संग्रामपुर प्रखंड अंतर्गत डुमरिया पंचायत के सिसवनिया टोला के बाढ़ से तबाह 100 परिवार एनएच-28 पर तंबू तान कर गुजर बसर कर रहे हैं। माल-मवेशी के साथ सड़क पर जैसे-तैसे दिन गुजर रहे हैं। इनका भी बुरा हाल है।
यूं तो अभी एयर ड्रापिंग जारी है, मगर इसका लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा। राहत सामग्री भी सभी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही। इसकी वजह यह है कि अभी भी बहुत से लोग टापू बन चुके गांव में ही फंसे हुए हैं, और वहां तक राहत कर्मी पहुंच नहीं पा रहे। ऐसे में बाढ़ पीिड़तों का सब्र भी टूटता जा रहा है।
 
कुछ पूछो तो छलक जा रहीं आंखें, चेहरे पर साफ दिख रही पीड़ा


बाढ़ से दो-चार हो रहे लोगों की पीड़ा जानने को हम ढाका राेड में आगे बढ़ते हैं, इस बीच पटपरिया निवासी सह पैक्स अध्यक्ष अशोक पाठक से बात होती है। वे कहते हैं कि चालीस साल में बाढ़ की ऐसी विभीषिका देखने को नहीं मिली। अभी भी हसुआहां, गजपूरा, पटपरिया में हाल नाजुक बनी हुई है। बाढ़ कई लोगों के घर बह गए हैं, अधिकांश लोग माल-मवेशी संग उंची जगह या मुख्य सड़क िकनारे शरण लिए हुए हैं। स्थिति यह है कि लोगों को कई दिनों से भोजन तक नसीब नहीं हुआ है। लोग बीमार पड़ रहे हैं, मगर इलाज के लिए पैसे नहीं है। न राहत मिल रही है न इलाज की सुविधा, ऐसे में भगवान ही मालिक है। वे सरकारी राहत को नाकाफी बताते हुए कहते हैं कि जितने बड़े पैमाने पर लोगबाग इससे प्रभावित हुए हैं, उसके मुतािबक यह राहत उंट के मुंह में जीरा की तरह है। जिला प्रशासन को और भी ज्यादा तत्परता दिखानी चाहिए। वहीं खड़े कुछ लोगों से बात होती है, कुछ पूछते ही उनकी आंखें छलक जा रही है, वहीं चेहरे पर बाढ़ से हुई तबाही की पीड़ा साफ देखी जा सकती है। कहते हैं कि न जाने कब तक सड़क पर वक्त गुजारना पड़ेगा। इस बीच रामगढ़वा निवासी संदीप चौबे से फोन पर बात होती है, उन्होंने बताया कि करीब 20 दिन बाद वे किसी तरह अपने घर पहुंच सके हैं, अभी भी मुख्य सड़क पर घुटने से नीचे तक पानी है। प्रखंड के निचले इलाके अभी भी पूरी तरह बाढ़ से प्रभावित है, अभी भी लोगों को राहत के लिए टकटकी लगाए रहना पड़ रहा है।

सबकुछ तो गवां चुके, अब आगे क्या


जलस्तर में भले कमी आ गई हो, मगर बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा अभी भी कायम है। घरों से पानी नहीं निकला है। सरकारी राहत का हाल वहीं है। मुआवजे की घोषणा हो चुकी है, मगर घोषणाओं को हकीकत की धरातल पर उतरने में कितना वक्त लगेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में एकदम से बैकफुट पर आ गए लोग भविष्य की चिंता में रात आंखों में ही काट रहे हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करेंगे। कैसे ितनका-तिनका जोड़ अपने ध्वस्त हुए मकानों को रहने लायक बना पाएंगे। क्योंकि बाढ़ ने सबकुछ लील लिया है, नये सिरे से जिंदगी संवारने के लिए पैसे चाहिए और पैसों के लिए...।


अब भूख व प्यास भी लेने लगी जान


बंजरिया के सुंदरपुर गांव में भी बाढ़ ने भरपूर तबाही के चिन्ह छोड़े हैं, यहां जाने के लिए अभी भी नाव ही जरिया है। ऐसे में समय से राहत नहीं पहुंच पाने के कारण अब लोगों के प्यास से मरने की बात आ रही है। इस गांव में कई बार राहत सामग्री भेज चुके ख्वाब फाउंडेशन के मुन्ना कुमार व अवतार क्लासेज के संजय सर ने बताया कि उन्हें सूचना मिली है कि प्यास से वहां 2 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन अभी वस्तुस्थिति पता कर रहे हैं। बताया कि ख्वाब फाउंडेशन व देश विकास प्रोत्साहन मंच द्वारा कई ट्रिप राहत सामग्री भेजी गई है। पानी बोतलें भी भेजी गईं, मगर जरूरत के अनुसार इसकी सप्लाई नहीं हो पाई। वजह बाजार में चीउडा, गुड़ व पानी खत्म हो चुका है। एक बोतलबंद पानी की एजेंसी में बहुत मुश्किल से 150 बोतल पानी बुक कर पाएं। हालांकि कुछ चिकित्सकों द्वारा ओआरएस घोल का पैकेट मुहैया कराया गया है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
जिला प्रशासन के अनुसार 240 पंचायतों की 22 लाख 18 हजार आबादी इस बाढ़ से प्रभावित हुई है। 22 प्रखंडों के 240 पंचायतों में बाढ़ ने कोहराम मचाया है। 207 पंचायतों की पूरी आबादी व 33 पंचायतों की आंशिक आबादी प्रभावित हुई है। चूड़ा की कमी होने के कारण भागलपुर से मंगाया जा रहा है।
 

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