- करीब दो सप्ताह से मोतिहारी में कैंप कर रहे कृषि मंत्री, खुद गांव-गांव घूम बाढ़ की विभीषिका से हो रहे रूबरू
- प्रभावित इलाकों में चलवा रहे कम्युनिटी किचेन, शीघ्र मुआवजे की घोषणा
- बाढ़ प्रभावित प्रखंडों के अधिकारियों संग बैठक कर दे रहे जरूरी निर्देश
- पीएम व केन्द्रीय गृहमंत्री से बात कर जिले के मुहैया कराया एयरफोर्स के दो-दो हेलीकाॅप्टर,एनडीआरफ व सेना भी मोतिहारी।
- आश्वसन दिया कि जबतक बाढ़ तब चलेगा राहत कार्य
सचिन कुमार सिंह की रिपोर्ट।
इंसान भले ही खुद को सर्वशक्तिमान समझ ले, मगर कुछ ऐसी चीजें हैं जिसपर उसका वश ना कभी चला है न आगे चलेगा। वह है प्रकृति की विनाशलीला पर काबू पा लेना। यह सच है कि प्रकृति से लड़ना संभव नहीं है, मगर आपदा पीड़ितों की मदद समय से कर उनकी पीड़ा पर सहानुभूति का मरहम लगाया जा सकता है। यह मरहम लगाने वाला कोई आम इंसान नहीं वरन केंद्र सरकार का मंत्री हो तो आपदा की विभीषिका को सहज समझा जा सकता है। वैसे सत्ता की हनक बहुतों को पहले जन व फिर अपनी जड़ से काट देती है, मगर यह शख्स आज भी अपनों से कटा नहीं। उनके सुख व दुख में हमेशा सहज भाव से भागीदार बनने को तत्पर रहता आया है। दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझना। मन में सेवा भाव ऐसी कि दिन-रात का फर्क मिट जाता है। न खुद चैन से बैठ पाते हैं न कार्यकर्ता। मकसद बस यहीं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंच जाय। जी हां, हम बात कर रहे हैं केंद्रीय कृषि सह किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह की। जिले में पिछले दो सप्ताह से बाढ़ की विनाशलीला चालू है, ऐसे में मंत्री श्री सिंह दिल्ली को बाय-बाय कह फिलहाल जिले में ही जमे हुए हैं। सिर्फ जमे हुए ही नहीं है इनकी दिनचर्या में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा, बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत पैकेट भिजवाना शामिल है। इनके कार्यकर्ता भी चीजों को दुरुस्त करने में दिन-रात एक किए हुए हैं। सबको अलग-अलग जिम्मेवारी सौंपी गई है, इस कारण राहत का काम सुचारू ढंग से चल रहा है। इतना ही नहीं बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए एनडीआरएफ टीम का संख्याबल कम दिखी तो तुरंत अतिरिक्त हेलीकॉप्टर के साथ-साथ सेना का जवान भी बुलवा लिया। साथ ही साथ बाढ़ प्रभावित प्रखंडों के अधिकारियों संग बैठक कर उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश भी दे रहे हैं।
इस बाबत वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडेय ने कहा कि ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि एक केंद्रीय मंत्री विगत एक सप्ताह से यहां रहकर सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का भ्रमण कर व उनकी समस्याओं से रूबरू हो रहे हैं। यहीं नहीं उनके साथ बिहार सरकार के मंत्री भी जोर लगाए हुए हैं। यहीं कारण है कि थल सेना, वायु सेना व एनडीआरएफ की टीमें एक साथ राहत कार्यों में लगी है।
क्या आपने आज तक के इतिहास में कभी यह देखा था कि कोई मंत्री बाढ़ पीड़ितों की व्यथा जानने को तीन-चार फीट पानी में चार-पांच किलोमीटर तक पैदल चलते हुए वहां तक पहुंच जाए, जहां तक जाने में अच्छे-अच्छे जिगरवालों को भी सोचना पड़ जाय। मगर हाल-फिलहाल वे बाढ़ प्रभावित हर पंचायत में खुद पैदल चलकर पहुंचे। लोगों की पीड़ाओं से रूबरू हुए और िफर वहां आसपास ही भोजनालय की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से शुरू करा दी। ताकि बाढ़ की मार से कराह रही मानवता को कम से कम भोजन-पानी तो नसीब हो सके। साथ ही हर बाढ़ पीड़ित को यह भरोसा दिया कि बाढ़ का पानी हटते ही क्षति का आकलन कर उचित मुआवजा भी दिलाया जाएगा।
आइए, सीन दर सीन हम आपको सच्चाई का आइना दिखाते हैं।
सीन-नंबर- 1 दिनांक- 19.817
मंत्री राधामोहन सिंह मोतिहारी-ढाका रोड पर पीड़ितों से मिलने के लिए मठियाडीह के पास पहुंचते हैं। आगे रास्ते पर चार से पांच फीट पानी बह रहा है, ऐसे में वाहन से जाना संभव नहीं था। वे चाहते तो काेरम पूरा कर वापस लौट सकते थे। वापस लौटने के वाजिब कारण थे, मगर जो संघर्षों से घबरा जाए वह राधामोहन नहीं हो सकता। बस, शुरू हो गया पानी के बीच रास्ता तलाशते रूपडीह तक का सफर। इस क्रम में लगभग 15 गांवों के लोगों से मुलाकात की। मुखिया व स्थानीय लोगों की मदद की। कई जगहों पर कम्युनिटी किचेन की व्यवस्था कराई। मुखिया व स्थानीय अधिकारियों को पीड़ितों की सूची बनाने को कहा ताकि उन सभी के खातों में मुआवजे की राशि भेजी जा सके। यह एक उदाहरण है, जबकि वे हर दिन ऐसे कई गांवों का भ्रमण कर रहे हैं।
सीन-नंबर- 2 दिनांक- 18.8.17
राधाकृष्णन भवन में जिलाधिकारी, अतिरिक्त जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों संग बैठक कर जिले में चल रहे राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की। साथ ही जरूरी निर्देश दिए। वहीं जनप्रतिनिधियों व सक्षम लोगों से अपील की कि राहत व बचाव कार्य में योगदान दे। उनकी इस अपील का असर भी दिखा। इसके बाद बहुत से लोग मदद को आगे आए और अपने स्तर से जगह-जगह राहत कार्य भी कर रहे हैं। सक्रियता यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि वे केसरिया क्षेत्र के सत्तर घाट पर बाढ़ पीिड़तों के बीच पहुंचे और सारी व्यवस्था खुद की। इसके अलावा वे अरेराज के इजरा नवादा में प्रमुख लोगों के साथ राहत प्रबंधन की समीक्षा की। संग्रामपुर के मंगलापुर सामुदायिक किचन का निरीक्षण किया। फिर रघुनाथपुर पुल का भी निरीक्षण किया। कहने का मतलब यह कि उनकी कोशिश अधिक से अधिक पीड़ितों तक खुद से पहुंचने की रही।
सीन- नंबर- 3 दिनांक 17.8.17
मंत्री श्री सिंह की एक अहम खूबी है कि वे सिर्फ निर्देश देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री नहीं कर देते। बल्कि जब तक उसपर अमल नहीं होता तब तक खुद सदेह वहां उपस्थित रहते हैं। शहर के मठिया में जिला भाजपा द्वारा कम्युनिटी किचेन शुरू किया गया। मंत्री ने वहां उपस्थित होकर न सिर्फ सारी व्यवस्था दुरुस्त कराई, बल्कि कई बाढ़ पीड़ितों को खुद से खाना भी परोस अच्छे मेजबान की भूमिका में भी नजर आए। उनके प्रयासों का ही प्रतिफल है कि मोतिहारी, केसरिया, तेतरिया, अरेराज, संग्रामपुर समेत कई बाढ़ प्रभावित इलाकों में कम्युनिटी किचेन सुचारू रूप से चलाया जा रहा है और यह तब तक चलता रहेगा जब तक कि बाढ़ पीड़ितों को उनकी क्षति का मुआवजा नहीं मिल जाता।
बहरहाल, मंत्री श्री सिंह अपनी अति सक्रियता की वजह बताते हुए कहते हैं कि ऐसी भीषण आपदा में अगर वे खुद सक्रिय होकर आम लोगों के दुख-दर्द से रूबरू नहीं होंगे तो कौन होगा। एक जनप्रतिनिधि की हैसियत से यह उनका फर्ज बनता है। बाढ़ राहत का काम युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है, फिर भी बाढ़ की विभीषिका बहुत ज्यादा है। सक्षम लोगों को मदद के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने उन समाजसेवियों व कार्यकर्ताओं की सराहना की जो अपने स्तर से बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगे हैं।