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बिहार
पीपराकोठी : अंग्रेजों के जुल्म से लेकर किसानों के तीर्थस्थल तक का सफर
By Deshwani | Publish Date: 20/6/2017 9:53:33 PM
पीपराकोठी : अंग्रेजों के जुल्म से लेकर किसानों के तीर्थस्थल तक का सफर

प्रतीकात्मक तस्वीर



मोतिहारी। देशवाणी न्यूज नेटवर्क


कभी गांधी के चंपारण सत्याग्रह के लिए जाने जाने वाला पीपराकोठी अब किसानी में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पुख्ता पहचान बनाता नजर आ रहा है। पीपराकोठी का यह स्थान जो कभी अंग्रेजी राज्य में किसानों पर जुल्म ढाने के लिए जाना जा रहा था, वहीं आज उन्नत कृषि और किसान कल्याण की राजधानी बनता दिख रहा है।
यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा समेकित कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है, जो देशभर में जलजमाव वाले क्षेत्रों में कृषि विकास िजसमें, मुख्यत: समेकित, मत्स्य प्रणाली, कृषि वानिकी, कुटकुट, बतख, बकरी पालन के साथ-साथ मखाना, सिंघाड़ा व अन्य जलीय फसलों पर शोध कार्य कर किसानों की आजीविका में सुधार किया जाएगा। इस केंद्र में देश में ऐसा पहला शोध संस्थान स्थापित किया गया है, जो मुख्यरूप से जलजमाव वाले क्षेत्रों व खेतों में कृषि की उत्पादकता बढ़ाने का कार्य करेगा। इस केंद्र की स्थापना का कार्य पीपराकोठी में शुरू हो चुका है। कई वैज्ञािनकों की नियुक्ति हो चुकी है, इसकी बाउंड्री का काम प्रारंभ हो चुका है। प्रयोगशाला सह प्रशासनिक भवन का निर्माण अगले छह माह में पूरा हो जाएगा। इस केंद्र द्वारा वर्तमान में चंद्रहिया, चिंतामनपुर, खैरीमल जमुनिया और जसौली पट‍टी में जलवायु परिवर्तन का खेती पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उचित कृषि प्रणाली इकाईयों पर प्रदर्शन किया जा रहा है, ताकि जलवायु परिवर्तन से खेती पर होने वाले दुष्प्रभाव से बचा जा सके। भूमिहीन किसानों की आजीविका जल प्रबंधन, खेती की उर्वरा शक्ति में वृद्धि इत्यादि पर भी इस परियोजना के माध्यम से किसानों के खेतों में कार्य किया जा रहा है।

जैव विविधता संरक्षण पर भी हो रहा काम


पूर्वी चंपारण में मत्स्यिकी में विभन्न प्रजातियों का अध्ययन, संरक्षण तथा खेती की उन्नत तकनीक पर भी कार्य शुरू किया जा चुका है। मोतीझील जो स्वच्छ पर्यावरण तथा जैव विविधता की वजह से मोतिहारी की शान है, का खर-पतवार प्रबंधन, जल संचयन, जैव विविधता संरक्षण पर भी कार्य शुरू किया जा चुका है, िजससे न केवल मछली उत्पादन में बढोतरी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक अनोखी पहल है। पीपराकोठी के इस अनुसंधान केंद्र के माध्यम से भटहां करिरया, सिरसा, रूलही, व मझरिया मन में मत्स्यिकी विकास परियोजना की स्वीकृति दे दी गई है, जिसके तहत मछली उत्पादन, उत्पादकता व मत्स्यजीवियों की आमदनी बढाने का भी काम किया जाएगा।

केविके बन रहा तकनीक का हब


 पीपराकोठी में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र बहुत तेजी के साथ किसानों के लिए तीर्थ स्थल बन रहा है। बाबा रामदेव के अलावा देश के कई प्रमुख कृषि वैज्ञानिक पिछले तीन वर्ष में यहां आ चुके हैं। इस कृषि विकास केंद्र के अंदर तीन वर्षों में मधुमक्खी पालन विकास केंद्र की स्थापना की गई है, ताकि क्षेत्र के मधुपालकों को लाभ मिल सके। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र में दलहन के उन्नत बीज उत्पादन हेतु दलहन बीज उत्पादन इकाई की स्थापना की गई है, ताकि किसानों को खेती से लाभ अर्जित हो सके। यह केंद्र बांस की विभिन्न उन्नत प्रजातियों का उत्पादन केंद्र बन रहा है, िजसका लाभ िबहार के लोगों को मिलेगा। मिट‍टी जांच के लिए मिनी प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है, िजससे किसान अपनी मिट‍टी की जांच करवा कर उर्वरकों का उचित प्रयोग कर सके।

गुड़ प्रसंस्करण इकाई की हुई स्थापना


कृषि विज्ञान केंद्र के अंतर्गत भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की मदद से गुड़ प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है, ताकि गन्ना उत्पादक किसानों को अधिक लाभ मिल सके। पीपराकोठी में पशु नस्ल सुधार के लिए पशुपालन विकास केंद्र की स्थापना की गई है, िजससे नस्ल सुधार हो। उन्नत किस्म का सीमेन उपलब्ध हो रहा है, जिससे पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन में आशातीत बढ़ोतरी मिलेगी। इसके साथ पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के िलए चारा विकास केंद्र की भी स्थापना की गई है। बिहार में दुधारू पशुओं की उत्पादकता कम है, इस कारण इन केंद्रों की भूमिका प्रभावी होगी। मशरूम बीज फार्म भी यहां स्थापित की गई है, िजसके माध्यम से तीन वर्षों में पांच हजार महिला-पुरुषों को बीज उपलब्ध कराए गए हैं। इस प्रकार कृषक कौशल विकास केंद्र की भी यहां स्थापना हुई है। आर्या परियोजना के माध्यम से केविके का लक्ष्य दो सौ ग्रामीण युवकों को ट्रेनिंग व रोजगार देने का है, इसके तहत 60 ग्रामीण युवकों का प्रशिक्षण हो चुका है। रोजगार भी उपलब्ध कराए गए हैं।

जुलाई में होगा मदर डेयरी का शिलान्यास
वहीं पीपराकोठी में केविके की पांच एकड़ जमीन पर मदर डेयरी प्लांट भी स्थापित हो रहा है। प्रारंभ में 20 हजार लीटर क्षमता का प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने वाला है, िजसका शिलान्यास जुलाई में होगा। इससे पशुपालकों काे दुग्ध की कीमत भी ज्यादा मिलेगी तथा उपभोक्ता को उच्च क्वालिटी के दुग्ध उत्पाद भी मिलेंगे।


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