बिहार
गुड़ प्रसंस्करण चीनी उद्योग का बन सकता विकल्प: बाबा रामदेव
By Deshwani | Publish Date: 9/6/2017 7:45:17 PMपीपराकोठी। प्रियदर्शी राजीव
आयुर्वेद की दृष्टि से पुराना गुड़ औषधि के लिए अधिक लाभदायक माना जाता है। यह हमारी परंपरा का अंग है। उक्त बातें योगगुरु बाबा रामदेव ने पीपराकोठी कृषि विज्ञान केंद्र में गुड़ प्रसंस्करण इकाई के उदघाट्न समारोह में कही। उन्होंने कहा कि नए गुड़ को बारह घंटे धूप में रखने पर यह पुराने गुड़ जितना ही लाभदायक हो जाता है। इसमें एक अलग ही तरह की खुशबू और मिठास होती है। इसका सुनहरा पीला रंग और इसकी मिठास के कारण शादी जैसे शुभ कार्यों में गुड़ के लेन देन की प्रथा का बहुत चलन है। गन्ने के रस को उबाल कर गुड़ बनाया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है। अतः सर्दी के मौसम में इसका उपयोग विशेष लाभदायक होता है। सर्दी के मौसम में ही ताजा गुड़ बाजार में आता है।
ऐसे बनता है गुड़: आईआईएसआर लखनऊ के डा.बीडी पाठक के बताया कि गुड़ बनाने के लिए सबसे पहले गन्ने से रस निकाला जाता है। इसे बड़े बर्तन में रखकर अशुद्धि नीचे बैठने देते है। ऊपर का शुध्द रस निथार कर अलग करते है। इसे किसी बड़े चपटे आकार के बर्तन में उबाला जाता है। इसे हिलाया जाता है और ऊपर आयी अशुद्धि को हटा दिया जाता है। अंत में जब सुनहरे रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाता है तो इसे सांचे में डालकर मनचाहे आकार में डाल कर सूखाया जाता है। सूखने पर नर्म सुनहरा गुड़ तैयार हो जाता है। यदि यह गुड़ यदि गहरे भूरे रंग का होता है तो इसे हल्के स्तर का समझा जाता है। सुनहरा पीले रंग का गुड अच्छा माना जाता है।