लखीसराय, (हि. स.)। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद राज्य में ता़ड़ी का कारोबार बढ़ गया है । राज्य सरकार द्वारा पासी समाज के लोगों के आजीविका को सहायता प्रदान करने के लिये नीरा विपणन की योजना के आड़ में जिले में ताड़ी का अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है।
नीरा नामक पेय सूर्योदय के पहले ताड़ के पेड़ से उतारे गये रस की प्रोसेसिंग करके बनाया जाता है। राज्य सरकार ने बकायदा नीरा बेचने के लिये दुकान खोलने का लाइसेंस देना प्रारंभ किया है। उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में अबतक 475 लाइसेंस नीरा बेचने की दुकान खोलने का दिया गया है जबकि अभीतक एक भी दुकान किसी ने नहीं खोला है।
पासी समुदाय के लोगों का कहना है कि उनलोगों का परंपरागत व्यवसाय प्रभावित हुआ है। वहीं, गांव- देहात में बिना फ्रिज के नीरा को कैसे ठंढा रखा जायेगा। गांव में न बिजली उपलब्ध है और न ही गरीब लोगों के पास डीप फ्रीजर खरीदने के लायक पैसा।
एक तरफ सरकार कहती है कि सूर्योदय के पहले उतारा गया ताड़ी स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है वहीं ताड़ी का सेवन करने वालों को पुलिस पकड़ लेती है।
जिले में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां ताड़ी का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। शुरूआत में ताड़ी बेचने और पीनेवालों की धड़पकड़ तेज थी लेकिन नीरा बेचने की योजना आने के बाद पुलिस ने इस ओर से अपना ध्यान हटा लिया है जिसका पूरा लाभ अवैध कारोबारी और नशेड़ी उठा रहे हैं।
इस संबंध में उत्पाद अधीक्षक देवेन्द्र कुमार सिंह बताते हैं कि जिला में नीरा विक्रय की दुकान हेतु 515 लोगों ने आवेदन दिया था जिसमें से 475 लोगों को लाइसेंस दिया जा चुका है। वहीं, बाकी आवेदन जांच की प्रक्रिया में है। सिंह ने स्वीकार किया कि अभीतक एक भी नीरा की दुकान जिला में नहीं खुल पाई है। ताड़ी बेचने और पीने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।