बिहार
चकाई प्रखंड में सिंचाई की पुरानी प्रणाली पर लगा ग्रहण
By Deshwani | Publish Date: 20/5/2017 3:52:23 PMजमुई/चकाई। चकाई प्रखंड के किसानों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय किसान आज भी पूरी तरह वर्षा पर निर्भर हैं। भूमिगत जल का इस्तेमाल यहां वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह नहीं हो पा रहा है। चकाई प्रखंड क्षेत्र में सिंचाई के लिए कुल 29 उदभव सिंचाई योजना एंव तीन जलाशय का निर्माण कराया गया मगर संसाधनों की संसाधनों की कमी के कारण ये सभी सूख गए जिससे यहां के किसान काफी परेशान हैं। इसी तरह प्रखंड में 200 से अधिक तालाब हैं । इनमें से कुछ तालाब बहुत पुराने हैं जो इस बात के गवाह हैं कि यहां तालाबों द्वारा सिंचाई करने कीप्रणाली काफी विकसित रही है।. मगर आज तालाब खुदवाने,बनाने और उनका कृषि कार्य के लिए उपयोग करने की प्रथा समाप्त हो गई है।
आज सिंचाई के इस साधन को नजर अंदाज कर दिया गया है. जबकि 1980-90 की दशक में बिहार में अकाल की जांच के लिए गठित आयोग ने स्पष्ट रुप से कहा था कि व्यापक स्तर पर तालाबों का निर्माण किया जाना चाहिए लेकिन इन दिशा में विशेष ध्यान नहीं दिया गया। पहले से खोदे हुये तालाबों के रखरखाव को लेकर सरकार ने पहल की।मनरेगा के तहत नये तालाब निर्माण की योजना भी खुली किंतु धरातल पर नही उतरी. जबकि तालाब काफी उपयोगी साबित हो सकता है। तालाब के माध्यम से न केवल वर्षा के अतिरिक्त पानी को खेत में ही रोककर कर सिंचाई की जा सकती है बल्कि बहुत हद तक आकस्मिक बाढ़ को खेत में ही भी रोका जा सकता है। इसी तरह यहां कहने को तो यहां 200 से अधिक तालाब हैं। मगर उनमें से महज दो जलाशय आगरा एंव अजय जलाशय योजना ही चालू अवस्था में हैं। एक जलाशय बदुआ जो निर्माण वर्ष के दौरान ही टूट गया। करोड़ों की लागत से बनी यह योजना से आज एक एकड़ भूमि की सिंचाई नहीं हो पा रही है।
हाल के वर्षों में कृषि उत्पादन का ग्राफ यह बताता है कि चकाई प्रखंड की उपज ठहर सी गयी है। ऐसी स्थिति में तालाबों,जलाशयों एंव उदभव योजनाओं की ओर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। स्थानीय कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार रवि का मानना है कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए अब प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रबंध ही एक मात्र उपाय है।. इधर, थोड़ी सी बारिश भी जहां जलजमाव की स्थिति पैदा कर देती है। वहीं लगातार बारिश के बाद बाढ़ की शक्ल ले लेता है। दरअसल, चकाई प्रखंड पहाड़ी प्रखंड है जहां जल संरक्षण की जरुरत हैं । जलाशयों के तल में मिट्टी भर गई है जिसे निकाल इनके तल को गहरा करने की जरुरत है।