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झारखंड
तोरपा के ओडीएफ होने का दावा बेमानी
By Deshwani | Publish Date: 3/12/2017 6:42:20 PM
तोरपा के ओडीएफ होने का दावा बेमानी

खूंटी, (हि.स.)। तोरपा प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त होने का दावा भले ही सरकार और प्रशासन कर ले, लेकिन सच्चाई इससे इतर है। तोरपा प्रखंड के सैकड़ों नहीं, हजारों परिवार आज भी खुले में शौच को विवश हैं। प्रशासन का यह दावा तोरपा के लोगों को हजम नहीं हो रहा है। इस संबंध में जिले के अधिकारी का कहना है कि सरकार ने हर परिवार को शौचालय दिये हैं। यदि कोई नहीं बनाता है या बना कर तोड़ देता है, तो उस पर प्रशासन क्या कर सकता है।
जानकारों के अनुसार हर गांव में एक-दो परिवारों को छोड़ सभी घरों में शौचालय का निर्माण कराया गया था लेकिन घटिया निर्माण के कारण अधिकांश शौचालय टूट गये। किसी में दरवाजा नहीं है, तो किसी का पैन ही गायब है। शौचालय का ढांचा खड़ा है और लोग उसका उपयोग बकरी, सुअर, मुर्गी आदि रखने में कर रहे हैं। कई लोगों ने तो जर्जर शौचालय को उखाड़ कर फेंक दिया। प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर दियांकेल पंचायत के ममरला पतराटोली गांव की स्थिति देखने से ही स्पष्ट हो जाता है कि तोरपा के ओडीएफ का दावा कितना सच है। बता दें कि ममरला गांव भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व विधायक कोचे मुंडा का गांव है। 
शौचालयों के प्रयोग के बारे में पूछे जाने पर गांव के ही सुनील सोय कहते हैं कि शौचालय का निर्माण ही ठीक नहीं था। उन्होंने कहा कि चार-पांच साल पहले ठेकेदार ने घटिया काम किया। इसके अलावा पानी की कमी के कारण भी गांव के लोग शौचालय का प्रयोग नहीं करते। यह स्थिति सिर्फ पतराटोली की ही नहीं, बल्कि तोरपा पूर्वी पंचायत के बड़का टोली, बडरूटोली, सरनाटोली सहित दर्जनों गांवों की है, जहां के लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते। सुबह-सुबह सैकड़ों लोगों को बोतल या डिब्बे में पानी लेकर खुले में शौच के लिए जाते देखा जा सकता है। उकड़ीमाड़ी पंचायत के सैंसेरा, टाटी, गंगईटोली, लुदमकेल झोराटोली सहित सैकड़ों गांव ऐसे हैं, जहां कई शौचालय अब भी अधूरे हैं। पंचायत के मुखिया एतवा कच्छप भी मानते हैं कि तोरपा को पूर्णरूप से ओडीएफ होने में समय लगेगा। उसी पंचायत के छत्रपाल गोप, उदय गोप सहित कई लोगों ने कहा कि अपना पिंड छुड़ाने के लिए प्रखंड के अधिकारी जिले के अधिकारियों को गलत सूचना दे रहे हैं। मुखिय एतवा कच्छप ने कहा कि शौचालय बनाने भर से काम नहीं होगा। इसके लिए उनकी आदत व व्यवहार में भी परिवर्तन लाना जरूरी है। पतराटोली गांव की अमृता सोय कहती है कि गांव में ठेकेदार ने ऐसा शौचालय बना दिया था, जहां ठीक से बैठा भी नहीं जा सकता था। उसकी कोई उपयोगिता ही नहीं रह गयी थी। बाद में लाभुकों ने उन्हें तोड़ कर फेंक दिया। 
एनएचपीसी काॅलोनी के लोग क्या करें?
तोरपा पूर्वी पंचायत की एनएचपीसी काॅलोनी में रहने वाले लगभग 500 लोग अब भी खुले में शौच के लिए विवश हैं। कोयल कारो परियोजना के बंद होने के बाद खाली पड़े ज्यादातर क्वार्टर की ईंट तक चुरा ली गई। कुछ दिनों के बाद लगभग 100 परिवार यहां के टूटे-फूटे आवासों की मरम्मत कर वहां अवैध रूप से रहने लगे। इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को भी है। लोगों ने रहने लायक मकान तो तैयार कर लिया, लेकिन किसी में शौचालय नहीं था। लोग खुले में शौच जाने लगे। इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के सहायक अभियंता एस दिनकर ने कहा कि वास्तव में यह एक गंभीर समस्या है। अवैध रूप से रहने वालों को शौचालय किस तरह दिया जाये? उन्होंने कहा कि एक तो प्रशासन को अवैध कब्जा हटाना पड़ेगा अथवा उन्हें खुले में शौच जाने से रोकने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि ओडीएफ को लेकर दो बार पूरे प्रखंड का सर्वे कराया गया। विभाग ने मान लिया था कि एनएचपीसी काॅलौनी में रहने वाले लोग सरकारी व्यक्ति हैं और सरकारी क्वार्टर हैं तो निश्चित रूप से शौचालय होगा। फिर भी हमें इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा। अब देखना है कि प्रशासन इस दिशा में क्या कार्रवाई करता है।
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