झारखंड
अहिंसा व मानवता ही सबसे बड़ा धर्म : समणी परिमल
By Deshwani | Publish Date: 21/11/2017 10:47:35 AMबोकारो, (हि.स.)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सम्प्रदाय के 11वे धर्मगुरु श्रीमहाश्रमणजी की शिष्य समणी परिमल प्रज्ञाजी ने कहा कि इंसानियत सबसे पहले जरूरी है। मानवता और अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है। इससे बढ़कर कुछ नहीं। सोमवार को चास के कुलदीप टाकीज कम्प्लेक्स में उपस्थित जैन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए समणीजी ने उक्त बातें कही।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने भी अहिंसा को ही सबसे बड़ा धर्म बताया है। हमारे मन में भी किसी को नुकसान पहुंचाने या हिंसात्मक भाव आ जाता है तो वह हिंसा से तनिक भी कम नहीं। इसके पूर्व समणीजी ने उपस्थित भक्तों को भक्ताम्बर स्त्रोत का पाठ संपन्न कराया, जिसमें जिनेंद्रजी की स्तुति की गयी।
उल्लेखनीय है कि आगामी 6, 7, 8 दिसम्बर को बोकारो के सेक्टर-2 स्थित जैन मिलन केन्द्र में आयोजित महाश्रमणजी के कार्यक्रम को लेकर समणीजी चास में लम्बे समय से विशेष जागृति कार्यक्रम चला रही हैंं। नित्य दिन अपने प्रवचनों से वह अध्यात्म की सरिता बहा रही हैं। वहीं, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज के लोग गुरुदेव श्री महाश्रमणजी के आगमन को लेकर तैयारियों में जोर-शोर से भिड़े हैं।