झारखंड
झारखंड में पहली बार, 1000 दिन की सरकार
By Deshwani | Publish Date: 1/9/2017 4:46:35 PMरांची। झारखंड बिहार से वर्ष 2000 में अलग हुआ। काफी उतार चढ़ाव के बीच इन 17 सालों में दस बार राज्य में सीएम बदले गए। तीन बार राष्ट्रपति शासन तक लगाया गया। इन 17 सालों में एक मुख्यमंत्री कार्यकाल तो महज 10 दिनों का भी रहा है। जी हां, वर्ष 2005 में शिबू सोरेन का बतौर सीएम 2 मार्च से 12 मार्च तक का कार्यकाल रहा। भाजपा के ही अर्जुन मुंडा 860 दिन लगातार सीएम रहे हैं। वहीं बाबू लाल मरांडी 852 दिनों तक लगातार सीएम पद पर रहे।
सरकार के हजार दिन बहुत आसान नहीं रहे। स्थानीय नीति-सीएनटी एक्ट संसोधन से लेकर शराब की खुद बिक्री और जमीन अधिग्रहण तक सरकार विपक्ष के निशाने पर रही। इज ऑफ डुइंग बिजनेस, मोमेंटम झारखंड जैसे मसलों पर बीजेपी ने अपनी पीठ थपथपाई। नीति आयोग के आंकड़े का हवाला देते हुए विकास दर के करीब 4.6 फीसदी से 8.6 फीसदी तक छलांग लगाने की बात कही। जेवीएम और जेएमएम सरीखी विपक्षी पार्टियों ने इन सब पर हमला बोला. सीएजी की ताज़ा रिपोर्ट का हवाला देते हुए आधे से अधिक एमओयू के कैंसल होने की बात कही।
रघुवर सरकार को विपक्ष के साथ अपनी सरकार के विरोध भी झेलने पड़े। मंत्री सरयू राय और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा इनमें सबसे आगे रहे। शराबबंदी से लेकर एसपीटी-सीएनटी एक्ट तक में संसोधन को लेकर सरकार के विरोध में आवाज बुलंद करते रहे। हाल ही जमशेदपुर में भी प सिंहभूम जिला के सारंडा में लौह अयस्क और मैगनिज की बड़े पैमाने पर तस्करी फिर से शुरू होने पर सरकार को कटघड़े में खड़ा किया है।