जमशेदपुर। एक ओर से समाज को स्वस्थ बनाने के लिए देशभर में स्वच्छता अभियान चल रहा है। दूसरी ओर, एमजीएम में स्वच्छता के नाम पर मरीजों की जिदंगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। ये बातें राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कल्याणी शरण ने एमजीएम अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत के मामले को लेकर निरीक्षण के दौरान कहीं। मौके पर आयोग के अवर सचिव चंद्रशेखर झा, सदस्या रेनु देवी, पूनम प्रकाश, शर्मिला सोरेन व आरती राणा भी मौजूद थीं।
निरीक्षण के दौरान कल्याणी शरण ने अस्पताल अधीक्षक डॉ. बी भूषण को अस्पताल में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए आवश्यक चीजों का प्रपोजल बनाकर आयोग को सौंपने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आयोग इस मामले में प्रधान सचिव के साथ बैठक कर जवाब तलब भी करेगा। कल्याणी शरण ने एमजीएम अधीक्षक से पूछा कि हर साल सरकार से एमजीएम को सफाई के मद में लाखों रुपये का जो फंड दिया जाता है, वह आखिर कहां जाता है? तो इस सवाल पर अधीक्षक महोदय निरूत्तर हो गये। उन्होंने कहा कि सफाई के मद में जो पैसा मिलता है, वह सीधे ठेकेदार के पास जाता है।
सफाई के सवाल पर एमजीएम अधीक्षक के निरूत्तर हो जाने पर कल्याणी शरण भड़क उठीं और अधीक्षक को लेकर जाकर खुद दुपट्टे से नाक बंद करके उन्होंने पूरी टीम के साथ वार्ड-वार्ड, शौचालय दर शौचालय निरीक्षण किया। करीब डेढ़ घंटे चले निरीक्षण के दौरान टीम ने बच्चा वार्ड, महिला वार्ड, लेबर रूम व बर्न यूनिट का मुआयना किया। इस दौरान उन्होंने मरीजों से बातचीत कर उनका दर्द जाना। साथ ही बेहतर इलाज का आश्वासन दिया। अस्पताल में दुर्गंध को लेकर उन्होंने अधीक्षक को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि एसी में बैठकर मरीजों का हाल नहीं पता चलेगा। उन्होंने अधीक्षक को हर रोज कम से कम दो बार हर वार्ड का मुआयना करने को कहा। इसके बाद उन्होंने नर्स क्वार्टर का निरीक्षण किया।
महिला वार्ड के निरीक्षण के दौरान मरीजों से पूछताछ के क्रम में लक्ष्मीनगर, टेल्को निवासी मीना देवी ने आयोग अध्यक्ष को बताया कि उनका दो माह का भ्रूण खराब हो गया है। सफाई कराने के लिए वे सदर अस्पताल भर्ती हुई थीं। जहां से बुधवार सुबह उन्हें एमजीएम रेफर कर दिया गया। यहां वे दोपहर ग्यारह बजे भर्ती हुईं। डॉक्टरों ने कहा कि पहले एक बोतल खून का इंतजाम करो, उसके बाद ही भर्ती लिया जायेगा। खून का जुगाड़ न हो पाने के कारण शाम करीब छह बजे तक उसे भर्ती नहीं लिया गया। इस दौरान वह दर्द से छटपटाती रही। इसी तरह कई मरीजों से पूछताछ के बाद यह बात सामने आई कि एमजीएम में मरीजों को भर्ती लिये जाने से कोताही बरती जाती है।