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संसदीय समिति में उठी डीवीसी की बंद इकाइयों का मामला
By Deshwani | Publish Date: 22/8/2017 6:53:39 PM
संसदीय समिति में उठी डीवीसी की बंद इकाइयों का मामला

बोकारो/नई दिल्ली,  (हि.स.)। ऊर्जा पर संसद की स्थाई समिति की बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में समिति के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में समिति के वरीय सदस्य व गिरिडीह के सांसद रवीन्द्र कुमार पाण्डेय ने डीवीसी के चंद्रपुरा और बोकारो थर्मल ताप विद्युत केेन्द्र की पुरानी इकाइयों को अघोषित रूप से बंद किये जाने का मामला उठाया। सांसद पाण्डेय ने कहा कि देश में बिजली की कमी और बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए केन्द्र सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक ऊर्जा का स्रोत विकसित करने एवं रोजगार का अवसर सृजित करने के लिए देश में नये-नये प्रतिष्ठान स्थापित किये जा रहे हैं, लेकिन उक्त दोनों प्रतिष्ठान की पुरानी इकाइयों को अघोषित रूप से बंद कर डीवीसी बेरोजगारी और बिजली की समस्या को बढ़ा रही है। 

उन्होंने कहा कि जी.ई द्वारा निर्मित 130×3 मे.वा. की चंद्रपुरा की पुरानी 1, 2 एवं 3 नं. इकाई और लगभग 25 वर्ष पूर्व भेल द्वारा निर्मित बोकारो थर्मल बी प्रतिष्ठान की 210×3 मे.वा. की तीनों इकाई बंदी से पूर्व औसत पीएलएफ पर लगातार बेहतर उत्पादन कर रही थी। उपरोक्त दोनों प्रतिष्ठान की बंद पुरानी इकाइयों को अविलंब चालू कराने की मांग करते हुए पाण्डेय ने कहा कि उक्त इकाइयों में वर्षो से लगातार कार्यरत सप्लाई मजदूरों सहित प्रभावित होने वाले लगभग 3000 ठेका श्रमिकों के समक्ष रोजी-रोटी की भयंकर समस्या उत्पन्न होने के साथ-साथ प्रतिष्ठान प्रभावित क्षेत्र में अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित व्यवसायी सहित हजारों परिवार प्रभावित होंगे, जिससे डीवीसी पर आधारित इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी। अत्यधिक उत्पादन लागत का दंश झेल रहे डीवीसी के द्वारा 1500 स्थाई कर्मचारियों का अन्यत्र किसी भी इकाई में समायोजन से मैन पावर का अनुपात बढ़ने के कारण उत्पादन लागत और बढ़ेगा, जिससे हो सकता है कि भविष्य में डीवीसी की बिजली का खरीदार नहीं मिलेगा। 
बैठक के दौरान डीवीसी की स्थापना के उद्देश्यों का स्मरण कराते हुए पाण्डेय ने कहा कि संसद द्वारा पारित डीवीसी एक्ट 1948 के आलोक में एक महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय स्वायत्त संस्थान के रूप में डीवीसी की स्थापना की गयी थी, जिसका मूल उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, भूमि संरक्षण और दामोदर घाटी क्षेत्र के लोगों का सामाजिक व आर्थिक विकास करना था। लेकिन स्थापना के उदेश्यों से डीवीसी भटक गया है। वर्तमान में व्यावसायिक दृष्टिकोण के कारण डीवीसी का लक्ष्य केवल उत्पादन और प्रेषण रह गया है। इसलिए बंद करने से पूर्व श्रमिक और प्रतिष्ठान प्रभावित क्षेत्र के लोगों के हितों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कुप्रबंधन के कारण डीवीसी संक्रमण काल से गुजर रहा है और खामियाजा श्रमिक भुगत रहे हैं। इसलिए उद्योगहित एवं श्रमिक हित में तत्काल सरकार हस्तक्षेप कर स्थापना के उदश्यों के अनुरूप डीवीसी का संचालन सुनिश्चित करे। 
सांसद पांडेय के अनुसार बैठक के अन्त में ऊर्जा सचिव अजय कुमार भल्ला और समिति के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए आश्वस्त किया कि उद्योगहित, श्रमिकहित और प्रतिष्ठान प्रभावित क्षेत्र के लोगों के हित में सकारात्मक कार्रवाई की जायेगी। बैठक में मुख्य रूप से ऊर्जा मंत्रालय मे अपर सचिव शालिनी प्रसाद, संयुक्त सचिव श्रीमती भारती, सीईए के चेयरमैन आर.के वर्मा, सीईआरसी के सचिव सनोज कुमार झा, पावर ग्रिड के सीएमडी आईएस झा और संसदीय समिति के सदस्य के रूप में सांसद जगदंबिका पाल, ऑस्कर फर्नांडीस, डॉ.ए.के सहानी, एम.चंद्रकाशी, एम.बी राजेश, देवेंद्र सिंह, भानु प्रताप सिंह, विप्लव ठाकुर, शंकर सिंह मनहास, डॉ.प्रभाकर कोरे आदि उपस्थित थे। उक्त जानकारी सांसद पाण्डेय के निजी सचिव मृत्युंजय पाण्डेय ने दी है।
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