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झारखंड
चौथी बार भी हुई बेटी, मां ने घर ले जाने से किया इनकार
By Deshwani | Publish Date: 16/8/2017 8:01:05 PM
चौथी बार भी हुई बेटी, मां ने घर ले जाने से किया इनकार

बोकारो, (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश में भले ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बेटियों को आज भी लोग अभिशाप और बोझ समझने का मानसिक दिवालियापन पाले बैठे हैं। इसकी बानगी बोकारो जिले के कसमार में मंगलवार रात सामने आयी। खैराचातर की एक निर्मोही मां को जब चौथी बार भी बेटी ही हुई तो वह उसे अपने घर ले जाने से मना कर गयी। हालांकि, बाद में बाल कल्याण समिति ने मामले में हस्तक्षेप किया तथा स्थिति सामान्य हो सकी। उक्त महिला ने एक शिशु को नौ माह तक पेट में पाला और जब पैदा होने पर उसके बेटी होने का पता चला तो वह तथाकथित आत्मा-ग्लानि की पीड़ा में रोने लगी और उस बच्ची को अपने साथ घर ले जाने से इनकार कर दिया। यहां तक कि वह उसे अपने पास भी रखने को तैयार नहीं हुई। उक्त महिला को चौथी संतान लड़की हुई थी, जिसे वह घर नहीं ले जाना चाहती थी। 

इस ऊहा-पोह में वहां लोगों की काफी भीड़ जमा हो गयी थी। बहुत से लोग बच्ची को गोद लेने के लिये जमा हो गए थे। बाल कल्याण समिति, बोकारो के सदस्य डा. प्रभाकर कुमार की मानें तो गांव के मुखिया पति बच्ची को किसी निःसंतान महिला को देने की बात भी कह रहे थे, परंतु स्थानीय बुद्धिजीवियों की सूझ-बूझ के कारण पूरा मामला बाल कल्याण समिति, बोकारो के पास पहुंचा। समिति के डा. प्रभाकर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कसमार थाना प्रभारी, नोडल पदाधिकारी (विशेष किशोर पुलिस इकाई) सह सीसीआर डीएसपी को मामले की सूचना दी। महिला को लोगों ने तथा पुलिस ने काफी समझाया-बुझा और देर रात महिला अपनी बच्ची को अस्पताल से घर ले गयी। डा. प्रभाकर ने कहा कि बाल कल्याण समिति बोकारो पूरे मामले का आगे भी ध्यान रखती रहेगी, ताकि माता-पिता या अन्य परिजन बच्चे की खरीद-बिक्री न करें या कोई भी बच्चे की अवैध गोद लेने की कोशिश करें। जिला चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट से परिजनों की सतत फालो-अप करवाती जायेगी। बाल कल्याण समिति बोकारो कभी भी गांव जाकर औचक जांच भी करेगी। 
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