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झारखंड
विधानसभा में विपक्ष का हंगामा
By Deshwani | Publish Date: 9/8/2017 3:52:06 PM
विधानसभा में विपक्ष का हंगामा

रांची, (हि.स.)। झारखंड विधानसभा में बुधवार को विपक्ष ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट को वापस लेने, भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन नहीं करने और कुछ अन्य मांगों को लेकर हंगामा किया। इसकी वजह से विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव को सदन की कार्यवाही 12 बजे दिन तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। झामुमो के सदस्य सीएनटी एक्ट में संशोधन पूरी तरह वापस लेने, भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन नहीं करने को लेकर नारे लगाते हुए वेल में आ गये। स्पीकर ने बार-बार उनसे अपनी सीट पर जाने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह करते हुए कहा कि वह उन्हें अपनी बात कहने का मौका देंगे। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी अपनी-अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी और शोरगुल करने लगे। 
इसी बीच भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने स्पीकर की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह सदन सिर्फ विपक्ष का नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण पिछला तीन सत्र बाधित रहा। इससे विधानसभा की गरिमा को चोट पहुंचा है। किशोर ने कहा कि सदन सुचारू रूप से चले इसके लिए आसन को कोई ठोस निर्णय लेने की जरूरत है। इसपर स्पीकर ने एक बार फिर विपक्षी सदस्यों से सदन को चलाने में सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हम राज्य की जनता के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। सदन चलेगा तभी लोगों को न्याय मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इसी तरह हंगामा होता रहा, तो आसन को कठोर निर्णय लेना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने अल्पसूचित प्रश्न पुकारना शुरू किया। लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा। 
इस पर स्पीकर ने कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी और विधायक दल के नेताओं को अपने कक्ष में बुलाया। इसे पूर्व सदन की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर ने कहा कि आज भारत छोड़ो आंदोलन 75वां वर्षगांठ है। इस मौके पर हम सभी स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति आभार प्रकट करते हैं, जिनकी कुबार्नियों के कारण हम आज स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर स्पीकर ने प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन को अपनी बात कहने को कहा। सोरेन ने कहा कि सदन में गतिरोध पहली बार नहीं पैदा हुआ है। इस सरकार बनने के बाद से ऐसा होता रहा है। सदन की गरिमा बनाये रखने में सभी को सहयोग करना चाहिए। लेकिन सरकार सदन के कामकाज में भी हस्तक्षेप करने में नहीं चुकती। एक तरह से सरकार सदन को हाइजैक करने की कोशिश कर रही है। सरकार संवदेनशील विषयों पर भी संवेदनहीनता के साथ बढ़ती है। 
उन्होंने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट आदिवासियों की आत्मा रही है। इसमें संशोधन को लेकर सदन बाधित रहा। पूरे राज्य में भी आक्रोश रहा। राज्यपाल ने संशोधन बिल वापस कर दिया, लेकिन इसकी सूचना सदन को नहीं दी गयी। सोरेन ने कहा सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन करना चाहती है। कैबिनेट में भी कई मंत्रियों ने इसपर आपत्ति जतायी। फिर भी सरकार इसे सत्र में लाना चाहती है। जबकि केन्द्र सरकार ने भी इस कानून में संशोधन का प्रयास किया था। इसका पूरा देश विरोध हुआ था। अब केन्द्र के कानून को राज्य सरकार बदलने के प्रयास में है। उन्होंने सीएनटी-एसपीटी में संशोधन को वापस लेने और धर्म परिर्वतन विधेयक नहीं लाने की बात कही। 
मासस के अरूप चटर्जी ने कहा कि सदन में सीएनटी-एसपीटी सहित कई बिल बिना चर्चा के पारित करा दिये गये। उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत में है वह भूमि अधिग्रहण और धर्मातरण विधेयक भी पारित करा सकती है। उन्होंने कहा कि सदन में बहस होनी चाहिए और यह सिर्फ औपचारिकता के लिए नहीं हो। बहस में आय सुझाव को भी सरकार को विधेयक में शामिल करना चाहिए। नवजवान संघर्ष मोर्चा के भानु प्रताप शाही ने कहा कि प्रश्नकाल किसी भी हालत में चलनी चाहिए, क्योंकि जनता की समस्याओं से जुड़ी प्रश्न होते हैं। प्रश्नकाल नहीं चलने के कारण सिर्फ उन्हें 42 प्रश्नों का नुकसान हुआ है। इसलिए सदन चलना चाहिए। किसी भी कानून में जहां संशोधन की आवश्यकता है वहां संशोधन होना चाहिए। 
जय भारत समानता पार्टी की गीता कोड़ा ने भी सदन चलने और इसमें राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा किये जाने की वकालत की। 
भाजपा के राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जो विषय अभी सदन में नहीं आया है उसपर चर्चा कैसे हो सकती है। उनका इशारा भूमि अधिग्रहा बिल और धर्मांतरण बिल के तरफ था। उन्होंने कहा कि जहां तक 2013 के भूमि अधिग्रहण काननू की बात है, तो केन्द्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकार अपनी आवश्यकता के अनुसार इसमें संशोधन कर सकती है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने ऐसा किया भी है। किशोर ने कहा कि सरकार भी चाहती है कि सदन में किसी भी विषय पर सार्थक चर्चा हो। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र सिर्फ चार दिनों की है यह सुचारू रूप से चले और आने वाले बिलों पर सार्थक चर्चा हो।
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सबको जनता ने चुनकर भेजा है और सबको बराबर अधिकार है। संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष भी सरकार का अंग होता है। बार-बार सदन बाधित करना उचित नहीं है। उनके भाषण के बीच झामुमो के साइमन मरांडी ने टोका-टोकी की। इसपर दोनों के बीच कुछ पुरानी यादों को लेकर हल्की नोंक-झोंक भी हुई। 
संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने झारखंड लोक सेवा आयोग रांची से प्राप्त वित्तीय वर्ष 2015-16 का वार्षिक प्रतिवेदन की कॉपी सभा पटल पर रखा। उन्होंने प्राक्कलन समिति का अष्ठम प्रतिवेदन वर्ष (2016-17) की प्रति भी सभा पटल पर रखा। इसके बार में स्पीकर ने कहा कि उन्होंने अपनी तरह से सदन में व्याप्त गतिरोध खत्म करने की कोशिश की और सभी को अपनी बात कहने का मौका दिया। उन्होंने उम्मीदजाहिर की कि गुरूवार को सभी सदस्य सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करेंगे। इसके बाद उन्होंने कार्यवाही गुरुवार 11 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
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