झारखंड
रोजी-रोटी के लिए पलायन को मजबूर पाकुड़ के मजदूर
By Deshwani | Publish Date: 25/7/2017 9:41:39 AM पाकुड़, हि .स.)। पत्थर उद्योग के लिए मशहूर पाकुड़ जिले के मजदूर अब रोजी - रोटी की तलाश में पलायन को मजबूर हो गए हैं। उपायुक्त की सख्ती के बाद ताबड़तोड़ छापामारी के चलते जिले के लगभग सभी पत्थर खदान और क्रशर बंद हो चुके हैं। इन खदानों और क्रशरों में लगे हजारों मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। खदान संचालकों में भी चिंता गहरा गई है। लोगों को लग रहा है कि बेरोजगारी झेल रहे मजदूर कहीं अपराध की राह न धर लें। लोग आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी की आशंका से परेशान हो उठे हैं। संभवतः इन्हीं बातों के मद्देनजर एसपी शैलेंद्र प्रसाद वर्णवाल ने सभी थानेदारों को अलर्ट कर दिया है। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी अमड़ापाड़ा स्थित पेनम कोल माइंस के बंद होने से जिले में आपराधिक घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई थी।
जिले के मालपहाड़ी, हिरणपुर, रदीपुर और पाकुड़िया आदि थाना क्षेत्रों में चलने वाले सारे पत्थर खदान क्रशर लगभग बंद कर दिए गए हैं। वजह इनके संचालकों के पास एनजीटी के निर्देश के तहत पर्याप्त कागजातों का न होना ही है। इन खदानों और क्रशरों से जुड़कर हजारों मजदूर अपने परिवार का भरण- पोषण कर रहे थे। लेकिन डीसी के निर्देश पर जिला टास्क फोर्स ने अवैध रूप से संचालित होने वाली इन खदानों और क्रशरों को सील क्या किया हजारों मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। उनका पलायन भी शुरू हो गया है। भले ही धान रोपनी का मौसम चल रहा है। लेकिन जिले में इतनी खेती नहीं होती है कि बेरोजगारी झेल रहे मजदूरों में से आधे भी उसमें खप सकें ।
उल्लेखनीय है कि गत शनिवार की शाम में जिले की अमड़ापाड़ा पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रोजी-रोजगार के लिए राज्य से बाहर ले जाए जा रहे सात नाबालिग सहित सत्रह मजदूरों को मानव तस्करों से मुक्त कराया था। साथ ही पश्चिम बंगाल के दो दलालों को भी मौके से गिरफ्तार किया था।