झारखंड
कुष्ठ पीड़िता के इलाज के लिए भटक रहा है पिता
By Deshwani | Publish Date: 20/7/2017 6:44:11 PMपाकुड़, (हि.स.)। जिले के महेशपुर प्रखंड के वीरकिटी पंचायत के खोसलपुर गांव के मनोज पहाड़िया कुष्ठ पीड़ित अपनी 19 वर्षीया पुत्री के इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। उसे यह भी नहीं पता कि इस रोग का कहीं इलाज भी होता है। पेशे से दैनिक मजदूर मनोज अपनी पुत्री की बीमारी के चलते अघोषित बहिष्कार झेलते हुए समाज में रहने को मजबूर है। कुष्ठ रोग से पीड़ित उसकी बेटी के चलते लोग उसके परिवार के करीब फटकते तक नहीं हैं। बेचारा बीमार बेटी की देखभाल भी खुद ही करता है और जीविका के लिए मजदूरी भी। बेटी की उम्र 19 वर्ष बताया तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। वजह टुनटुनी देखने से महज छह सात साल की लग रही थी। उसके हाथ और पैर में कुष्ठ है। दर्द से कराहती टुनटुनी खुद से खड़ी भी नहीं हो पाती है। उसके मां बाप ही उसकी सेवा करते हैं।
इलाज के लिए अस्पताल अथवा कुष्ठ नियंत्रण केंद्र ले जाने के सवाल पर वह सिर्फ मुंह देखता रह गया। उसे पता ही नहीं है कि अस्पताल में इस रोग का इलाज भी किया जाता है और सरकार ने इसके इलाज के लिए कुष्ठ नियंत्रण केंद्र बनाकर इलाज की विशेष व्यवस्था भी कर रखी है। मनोज ने बताया कि उसने गांव के प्रमुख लोगों के अलावा कई लोगों से इस बीमारी के बारे में पूछा भी था, लेकिन किसी ने कुछ भी नहीं बताया। सवाल उठता है कि भले अनपढ़ अथवा अनजान गांव वालों ने उसे कोई जानकारी नहीं दी। लेकिन गांवों में घूमने का दावा करने वाली मेडिकल टीम के एमपीडब्ल्यू, सहिया साथी के अलावा कुष्ठ नियंत्रण इकाई के लोग क्या आज तक खोसलपुर गांव का एक बार भी दौरा नहीं किया है। अगर नहीं किया तो क्यों और किया तो उन्हें टुनटुनी के हालात की जानकारी कैसे नहीं मिली। फिर पंचायत के मुखिया और उनके सहयोगी कहां हैं?