रांची, (हि.स.)। जिला कृषि पदाधिकारी अपने जिले के पंचायत स्तर की टीम को सक्रिय कर एक-एक किसान की स्थिति की समीक्षा करें। रोपनी के सीजन में किसी प्रकार की लोन या बकाया दबाव न बना सके। पदाधिकारी प्रत्येक बुआई वाले खेतों में धान की रोपनी सुनिश्चित करें। किसानों को समय पर खाद मिले, इसके लिये थोक बिक्रेता, खुदरा बिक्रेता और पंचायत या ग्रामवार कृषकों को टैग करें। यह निर्देश मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने दिया। श्रीमती वर्मा गुरुवार को कृषकों के हालात एवं कृषि संबंधी प्रगति की समीक्षा कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि किसानों की भूमि का हेल्थ कार्ड के अनुरूप फसल के चुनाव और अन्य जानकारी उपलब्ध कराई जाये। कार्य इस प्रकार करें कि किसान आपको अपना विश्वसनीय साथी समझें। राज्य में 11 लाख किसानों को फसल बीमा से जोड़ा जा चुका है तथा लगभग 98 हजार क्विंटल बीज का वितरण किया जा चुका है। धान की अच्छी खेती और फसल की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करें। जीएसटी के कारण खाद के विक्रय मूल्य में 0.5 प्रतिशत की कमी आई है, उसका लाभ भी किसानों को मिले, यह सुनिश्चित करायें। उन्होंने उन लाइसेंसधारक खाद विक्रेताओं को सूची से बाहर करने का निर्देश दिया, जिन्होंने अपना-अपना लाइसेंस नवीनीकरण नहीं कराया है। अधिक से अधिक किसानों को फसल बीमा योजना से जोड़ने के लिये किसानों के बीच कैंप लगाकर अभियान चलायें। साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने के लिये पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर फॉर्म जेनेरेशन का कार्य किया जाये। साथ ही उन कैंपों के माध्यम से बीमा के लंबित दावों की राशि का वितरण भी सुनिश्चित कराया जाये।
उन्होंने कहा कि पूर्व में जिन किसानों के फसल बीमा योजना के दावे लंबित हैं, उनकी सूची ग्रामवार तैयार करें ताकि कैंप के माध्यम से दावों का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि कैंप के माध्यम से फसल बीमा के जो आवेदन जेनरेट किये जा रहे हैं, उनकी जांच बीटीएम, एटीएम के माध्यम से करवायें। साथ ही कुल जमा आवेदनों के 10 प्रतिशत फॉर्म बीसीओ चेक करें, ताकि रिजेक्शन की गुंजाईश को कम किया जा सके। कृषकों को मॉनसून के मौसम में सही वक्त पर रासायनिक खाद उपलब्ध कराने के लिये थोक विक्रेता को खुदरा बिक्रेता तथा खुदरा बिक्रेता को पंचायत एवं ग्रामवार किसानों के साथ टैग करें। खाद के प्रत्येक खुदरा बिक्रेता पर संबंधित किसानों की सूची उपलब्ध होनी चाहिये, ताकि किसानों को खाद की प्राप्ति में परेशानी का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा कि सभी लैंपस पैक्स की नियमित रूप से मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाये। राज्य में जितने भी खाद के पुराने लाइसेंसधारक हैं, उनके सत्यापन का कार्य करें तथा जिन्होंने लाइसेंस रिन्युअल नहीं कराया है, उन्हें सूची से बाहर करें। किसानों को मृदा कार्ड उपलब्घ कराने के लिये नमूनों का संग्रह कर आर्या एवं लैब को उपलब्ध कराये जायें एवं संसूचित लक्ष्य के अनुरूप केसीसी को रूपे कार्ड में कन्वर्ट के कार्य में तेजी लायी जाय। उन्होंने चिन्ह्ति की गई परती भूमि की, की जा रही मेढ़बंदी का जियो टैगिंग का निर्देश देते हुए फोटो अपलोडिंग के लिए कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा।
मौके पर विभाग की ओर से बताया गया कि अब तक करीब 11 लाख किसानों को फसल बीमा योजना से जोड़ा जा चुका है, जबकि 1.25 लाख क्विंटल बीज वितरण के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 97.623 हजार क्विंटल बीज का वितरण का कार्य संपन्न किया जा चुका है। साथ ही पूरे राज्य में 250 लैंपस को थोक बिक्रेता तथा 739 पैक्स को खुदरा बिक्रेता के रूप में अनुज्ञप्ति निर्गत की जा चुकी है। सभी बिक्रेताओं को ग्राम एवं पंचायत वार किसानों के साथ टैग किया गया है, ताकि समय पर खाद का वितरण सरलता के साथ किया जा सके। किसानों को जो खाद दिया जा रहा है, उसे बहुत ही कम कीमत पर दिया जा रहा है, जीएसटी लागू होने के बाद 0.5 प्रतिशत की कम कीमत पर किसानों को खाद उपलब्ध कराया जा रहा है। मृदा हेल्थ कार्ड हेतु अब तक 3.81 लाख ग्रीड के विरूद्ध 2.41 लाख ग्रीड से मृदा नमूनों का संग्रह किया जा चुका है। इस अवसर पर कृषि विभाग की सचिव पूजा सिंघल, राष्ट्रीय बागवानी मिशन के निदेशक राजीव कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।