झारखंड
आवारा पशुओं का ठिकाना बना अधूरा स्कूल भवन
By Deshwani | Publish Date: 20/7/2017 11:06:25 AMगुमला, (हि.स.)। सरकार एक ओर जहां शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रखंड स्थित प्राथमिक विद्यालय कांजी में अव्यवस्था का आलम है। ना तो विद्यालय भवन है ना ही बैठने की जगह और ना ही मध्याह्न भोजन में बच्चों को पौष्टिक आहार ही मिल पा रहा है। विद्यालय भवन 2007-08 में बना था जो दस वर्षो से अधूरा है। भवन में खिड़की दरवाजे तक नहीं है । फिलहाल यह भवन आवारा पशुओं का ठिकाना बन गया है।
दूसरी ओर अधूरे भवन के कारण गांव स्थित जर्जर सामुदायिक भवन में शिक्षक अपनी और बच्चों का जान जोखिम में डालकर विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। भवन बरसात में कभी भी गिर सकता है। बच्चों को मध्याह्न भोजन में मांड़ भात दिया जाता है। अधूरे विद्यालय भवन व मध्याह्न भोजन के बारे में विद्यालय एचएम नील कुसुम बेक और प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जुस्टीन कुजूर ने बताया कि विद्यालय भवन दस वर्षो से अधूरा है। यह भवन विद्यालय के पूर्व शिक्षक जेम्स केरकेटृा की देखरेख में बना था। अधूरा विद्यालय भवन खंडहर के रुप में तब्दील है । गांव में जगह नहीं मिलने के कारण जर्जर सामुदायिक भवन में विद्यालय का संचालन कर रहे हैं । मध्याह्न भोजन के बारे में बताया गया कि इस विद्यालय में वे एक वर्ष से कार्यरत हैं। एमडीएम का पासबुक विद्यालय के पूर्व शिक्षक के पास है । एमडीएम का केवल चावल मिलता है। दाल सब्जी खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलते हैं। इस कारण बच्चों को एक साल से मध्याह्न भोजन में मांड़ भात खिला रहे हैं ।
इस बात की जानकारी बीईईओ जगजीवन नायक को दी गई है। मगर अभी तक पासबुक वापस दिलाने में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
संतोष टोप्पो, सुधीर तिर्की, जेरोम कुजूर, जुस्टीन कुजूर आदि ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बीईईओ एन. तिवारी व पूर्व शिक्षक जेम्स द्वारा पैसे की निकासी कर बंदरबाट कर लिया गया । भवन निर्माण कार्य अपूर्ण छोड़ दिया गया । मगर विभाग की ओर से भवन निर्माण से जुड़े किसी भी व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं हुई है । इसके बाद गांव में बैठक कर पूर्व शिक्षक को विद्यालय से निकाल दिया गया। इस संबंध में मुखिया बिबियाना कुजूर ने कहा कि इस काम में विभाग के लोग मिले हुऐ थे। अधूरे विद्यालय भवन को पूर्ण कराने और नहीं करने पर पूर्व शिक्षक पर करवाई करने के लिए बीईईओ पर दबाब बनाया गया था । मगर विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। दिलचस्प बात यह है कि कक्षा एक से पांच तक वाले स्कूल में बच्चों की संख्या छह है और इन्हें पढ़ाने के नाम पर मात्र एक पैरा टीचर है।