गुमला, (हि.स.)। कामडारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कामडारा को लगभग दस वर्ष पूर्व ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) का दर्जा मिल चुका है। इसके बावजूद सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण आज तक सीएचसी की अहर्ता पूरी नहीं हो पाई है।
सीएचसी कामडारा अपनी आधारभूत संरचना और मानव संसाधन की घोर कमी के कारण सिर्फ कागजों पर ही चल रही है। सीएचसी कामडारा में मरीजों के इलाज के लिए 30 बेड होने चाहिए लेकिन आज भी मात्र छह बेड ही उपलब्ध हैं । अस्पताल मे मरीजों की देखभाल के लिये चार स्टाफ नर्स (जीएनएम) की आवश्यकता है लेकिन सभी पद रिक्त हैं।
अस्पताल में मरीजों की जांच के लिए लैब टेक्निशियन, बीपीएम, कम्प्यूटर ऑपरेटर और ड्रेसर का पद रिक्त है। अस्पताल मे दो वाहन मुहैया कराए गए थे लेकिन दोनों चालकों के पद रिक्त पड़े हुए हैं।
कामडारा प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कुल 19 स्वास्थ्य उपकेन्द्र स्थापित किए गए हैं, जिसकी देखरेख के लिए कुल 38 एएनएम की आवश्यकता है परंतु फिलहाल मात्र नौ एएनएम और 19 एनआरएचएम के भरोसे ही केंद्र संचालित हो रहा है । इतना ही नहीं, कामडारा प्रखंड में सिर्फ चिकित्सा प्रभारी को छोड़ अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के रहने के लिये क्वार्टर तक की व्यवस्था नहीं है।
अस्पताल मुख्य पथ के निकट होने के बावजूद चाहरदीवारी नहीं है। इसके कारण हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है । इस संदर्भ मे चिकित्सा प्रभारी डॉ. मानकी कृष्ण मोहन शाही से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कामडारा को वर्ष 2007 मे सीएचसी का दर्जा मिला था परंतु सीएचसी की सभी अहर्ता नगण्य है।