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झारखंड
सदर अस्पताल में एक ही एम्बुलेंस से ढोए जाते हैं मरीज और शव
By Deshwani | Publish Date: 11/7/2017 12:00:40 PM
सदर अस्पताल में एक ही एम्बुलेंस से ढोए जाते हैं मरीज और शव

चतरा, (हि.स.)। जिले का एकमात्र जिला स्तरीय सदर अस्पताल इन दिनों खुद बीमार है। ना तो यहां समुचित डॉक्टरों की व्यवस्था है ना ही संसाधनों की और ना ही दवाइयों की। ऐसे में यहां इलाज कराने वाले मरीजों की स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। 
जिला मुख्यालय के अलावा जिले के सुदूरवर्ती इलाकों से बीमारी का इलाज कराने पहुंचने वाले मरीज बीमार व्यवस्था के शिकार हो रहे हैं। किसी की मौत यहां इलाज के अभाव में हो जाती है, तो कोई मरीज रास्ते में दम तोड़ देता है। सदर अस्पताल की स्थिति ये है कि यहां रिक्ति के अनुरूप महज पंद्रह प्रतिशत चिकित्सक ही कार्यरत हैं। उनमें से भी कई चिकित्सक लंबे समय से छुट्टी पर हैं।
यूं कहें तो लाखों लोगों की जिंदगी महज बारह से पंद्रह चिकित्सकों पर ही निर्भर है। यही हाल संसाधनों का भी है। अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए महज डेली रूटीन की दवाइयां ही उपलब्ध हैं। इलाज के दौरान ज्यादातर दवाइयां मरीजों को बाहर से ही खरीदनी पड़ती है। सबसे खराब स्थिति एम्बुलेंस की है। सदर अस्पताल में राज्य सरकार द्वारा आवंटित एम्बुलेंसों में मात्र एक एम्बुलेंस ही संचालित है वो भी जीर्णशीर्ण अवस्था में। जबकि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए तीन एम्बुलेंस मामूली रिपेयरिंग के अभाव में खराब पड़े हैं। 
इन्हीं एम्बुलेंश के चालकों ने नौ जुलाई को राजेन्द्र के शव को ले जाने के नाम पर परिजनों से चार हजार रुपये की मांग की थी, जिसके बाद पैसे के अभाव में परिजन शव को हाथ में टांगकर चले जाने को विवश हुए थे।
क्या कहते हैं चिकित्सक
अस्पताल में शव वाहन नहीं रहने के कारण मरीजों को ढोने वाले एंबुलेंस में ही शव ढोया जाता है। शव वाहन को लेकर विभाग को पत्राचार किया गया है।
 
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