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झारखंड
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में 46 वर्ष बाद हुई सरदार पंडा की ताजपोशी
By Deshwani | Publish Date: 6/7/2017 3:18:19 PM
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में 46 वर्ष बाद हुई सरदार पंडा की ताजपोशी

देवघर,  (हि.स.)। बाबा बैद्यनाथ मंदिर के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। लम्बी कानूनी प्रक्रिया के बाद अंततः 46 वर्षों के बाद अजितानंद ओझा सरदार पंडा की गद्दी पर विराजमान हो गये। पूरे विधि-विधान एवं परंपरा के साथ सरदार पंडा की ताजपोशी की गयी। गुरुवार की सुबह से ही बाबा मंदिर में अनुष्ठान शुरू हो गया था। गद्दी संभालने से पहले मंदिर प्रांगण में ही अजितानंद ओझा का मुंडन हुआ। गंगा के समान देश के सात प्रमुख नदी और समुद्र के जल से उनका अभिषेक हुआ। चांदी की छतरी में गद्दी तक घर के बड़े बुजुर्ग उन्हें लेकर आए। 28वें सरदार पंडा के रूप में अजीतानंद ओझा की ताजपोशी के हज़ारों भक्त गवाह बनें। राज्य के श्रम मंत्री राज पलिवार, विधायक नारायण दास, विधायक बादल पत्रलेख और उपायुक्त राहुल कुमार सिंहा, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष और महामंत्री सहित तीर्थ पुरोहित वर्ग के तमाम लोग इस एतिहासिक क्षण के गवाह बने।
गौरतलब है कि अब, बाबा मंदिर की पूजन परंपरा पर सरदार पंडा का अधिकार होगा। सरदार पंडा की गद्दी को लेकर 46 वर्षों तक चले कानूनी लड़ाई में जीत अजीतानंद ओझा और उनके परिजनों को मिलने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 6 जुलाई को गद्दी पर बिठाए जाने संबंधी घोषणा की थी। इसके बाद उन्हें सरदार पंडा की गद्दी पर बिठाया गया। उल्लेखनीय है कि न्यायालय के फैसले में सरदार पंडा को कोई भी प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार नहीं दिया गया है जबकि मंदिर की सभी पूजन व्यवस्था उन्हीं के नेतृत्व में होगा। गद्दी संभालते ही सरदार पंडा संत का जीवन व्यतीत करेंगे। वह फलाहार पर ही रहेंगे। सरदार पंडा को उनके कर्तव्य निभाने में जो धनराशि की जरूरत होगी, वह श्राइन बोर्ड उपलब्ध करायेगा। साथ ही सरदार पंडा के लिए आवास और अन्य जरूरी सुविधाएं भी श्राइन बोर्ड ही उपलब्ध करायेगा। गौरतलब है कि तत्कालीन सरदार पंडा भवप्रीतानंद ओझा का निधन 11 मार्च 1970 को होने के बाद से अब तक सरदार पंडा की गद्दी खाली ही थी।


 

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