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झारखंड
गुमला में रथ यात्रा का इतिहास करीब 350 सालों से अधिक पुराना
By Deshwani | Publish Date: 25/6/2017 4:30:07 PM
गुमला में रथ यात्रा का इतिहास करीब 350 सालों से अधिक पुराना

गुमला, (हि.स.)। जिले में रथ यात्रा की परंपरा वर्षो पुरानी है। गुमला नागवंशी राजाओं की कर्मभूमि रही है। उनके द्वारा ही रथ यात्रा शुरू कराई गई है। माना जाता है कि गुमला जिले में रथ यात्रा का इतिहास करीब 350 सालों से अधिक पुराना है। भगवान जगन्नाथ का सबसे प्राचीन मंदिर जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर कोयल के तट पर नागफेनी में स्थित है। 

इस मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1761 में रातूगढ़ के राजा रघुनाथ शाही ने कराई है। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की प्रतिमा पूरी से हाथियों के माध्यम से लाई गई थी रथ यात्रा के दौरान यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं नागपुरी कलाकारों की ओर से एक से बढ़कर एक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है। 
मुख्य संरक्षक केडीएन सिंह ने बताया कि सन 1901 के आसपास पूर्वजों द्वारा जगन्नाथपुरी से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति नाव के माध्यम से लाई गई। इसके बाद मेला स्थल पर 1000 आम के पौधे लगाए है। फिर एक छोटे से आवास में मूर्ति को रखकर पूजा पाठ शुरू की गई। धीरे-धीरे 1920-22 के आसपास मंदिर का निर्माण कराया गया। इसके बाद विधिवत रूप से पूजा को भव्य रूप दिया गया। 
वहीं बसिया प्रखंड में नारेकेला गांव में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है, जहां का रथ यात्रा मेला इलाके में प्रसिद्ध रहता है। यहां के मंदिर के बारे में बताया जाता है कि गांव के बड़े जमींदार रणबहादुर लाल को एक बार सपना आया कि भगवान उनसे कह रहे है कि मैं यहां हूं और तुम सो रहे हो। इसके बाद अगली सुबह पंडित से राय विचार लेकर जंगल की तरफ जाने पर साक्षात जगन्नाथ भगवान की मूर्ति दिखाई दी। इसके बाद 1909 में मंदिर का निर्माण कराकर पूजा शुरू की गई। 
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