झारखंड
आदिम जनजाति के लोग आज भी जी रहे ढिबरी युग में
By Deshwani | Publish Date: 24/6/2017 3:18:54 PMगुमला, (हि.स.)। जिले के बिशनपुर प्रखंड में रह रहे आदिम जनजाति और जनजाति समुदाय के लोग आज भी ढिबरी युग में जीने को मजबूर हैं। बिजली विभाग इस दिशा में आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी कोई कदम नहीं उठा पाई है।
प्रखंड के दर्जनों गांवों में बिजली नहीं पहुंच पाया है। प्रखंड के हिसिर एवं हपात गांव में आज भी वहां रह रहे असुर आदिम जनजाति, खरवार जनजाति के लोग बिजली के अभाव में ढिबरी युग में जीने को मजबूर हैं। हपात गांव में खरवार जनजाति के लोग निवास करते हैं। गांव में कुल 31 घर हैं, जहां लगभग 330 खरवार जनजाति के लोग निवास करते हैं। यह गांव बिशनपुर से 30 किलोमीटर दूर काफी दुर्गम और पहाड़ पर स्थित है। जहां पर बिजली नहीं पहुंच पाने के कारण ग्रामीनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। गांव में एक विद्यालय है, जहां पर रवीन्द्र भगत नाम के शिक्षक बच्चों को अध्ययन कराने आते हैं।
शिक्षक रवीन्द्र भगत से बात करने पर उन्होंने कहा कि बिजली यहां के लोगों के लिए यह सपना है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में बिजली से जुड़े सामग्री लगाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी आए, लेकिन बिजली नहीं रहने के कारण उन्हें बेरंग वापस होना पड़ा। शिक्षक के मुताबिक विद्यालय में बिजली नहीं होने के कारण कंप्यूटर एवं अन्य तकनीकी शिक्षा नहीं दी जा रही है। इस संबंध में पूछे जाने पर बिजली विभाग के अभियंता पंकज कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।