झारखंड
झारखंड में शराबबंदी लागू करने की मांग
By Deshwani | Publish Date: 10/6/2017 6:11:19 PMलोहरदगा, (हि.स.)। 85 प्रतिशत महिला विरोधी अ 70 प्रतिशत सड़क दुर्घटना के पीछे शराब का हाथ होता है लेकिन झारखंड सरकार सिर्फ राजस्व के नाम पर एक कुप्रथा को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान का नीति निदेशक सिद्धांत राज्य को निर्देश देता है कि वह शराबबंदी करे। लेकिन झारखंड सरकार जनभावनाओं की अवहेलना कर रही है। शनिवार को यह बातें नव भारत जागृति केंद्र के गिरिजा सतीश ने कहीं। वह बीएस कॉलेज के समीप ग्राम स्वराज्य संस्थान में आयोजित विचार गोष्ठी में बोल रहे थे।
गौरतलब है कि गिरिजा सतीश के नेतृत्व में निकली शराब मुक्ति यात्रा झारखंड में शराबबंदी लागू करने की मांग को लेकर पूरे राज्य का दौरा कर रही है। उन्होंने कहा कि यह एक दुष्प्रचार है कि आदिवासी समुदाय शराबबंदी नहीं चाहता है क्योंकि इस यात्रा के दौरान आदिवासी महिला-पुरुषों ने शराब पर प्रतिबंध लगाने का भारी समर्थन किया है। उन्होंने सभी धर्मों में शराब को एक बुराई के रूप में देखे जाने का उदाहरण दिया और कहा कि शराबबंदी के मुद्दे पर संस्थाओं को भी एक होने की जरूरत है ताकि विकास और सामाजिक परिवर्तन कर काम हो सके।
मौके पर ग्राम स्वराज्य संस्थान के सचिव चंद्रपति यादव ने सबों का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने कहा की झारखंड में नशे की समस्या बढ़ती जा रही है। गांव के गरीब वर्ग के लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा नशा में लुटाते हैं। वहीं युवा वर्ग के बीच में शराब का प्रचलन बढ़ा है जिससे शराब व्यापार में प्रति वर्ष भारी बढ़ोतरी हो रही है। शराब बिक्री से सरकार को एक रुपये का लाभ होता है तो बीमारी के इलाज और घटी उत्पादकता के रूप में दो रुपये का नुकसान भी होता है। अधिकांश मामलों में शराब की वजह से महिलाओं की प्रताड़ना, परिवार टूटने और बच्चों की असुरक्षा की बात सामने आती है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन शेख यासीन ने किया।