झारखंड
पुरुषों को बदलनी होगी स्त्री के प्रति सोच : एमएस भाटिया
By Deshwani | Publish Date: 9/6/2017 7:45:30 PMरांची, (हि.स.)। लैंगिक समानता को लेकर पूरे देश में बीते कई दशकों से प्रयास होता रहा है। अबतक लैंगिक समानता के मुद्दे को सिर्फ महिलाओं का मुद्दा ही माना जाता रहा है। परंतु बदलते परिवेश में लैंगिक समानता को लेकर सोच बदलने की आवश्यकता है और लैंगिक समानता के लिए सिर्फ महिलाओं के अधिकार को लेकर बात करना ही काफी नहीं है बल्कि पितृसत्ता समाज को स्त्रियों की भूमिका के प्रति अपने नजरिये को बदलना पड़ेगा। समाज में व्याप्त मर्दानगी की परिभाषा को बदलने के उद्देश्य को लेकर शुक्रवार को फिया फाउंडेशन की ओर से इट्स पॉसिबल नाम से झारखंड में एक जेंडर कैंपन की शुरूआत किया गया। इस अभियान का शुभारंभ महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव एमएस भाटिया ने किया।
भाटिया ने कहा कि सही मायने में लिंग समानता तभी आयेगी जब हम दुनिया को स्त्री के नजरिया से देखेंगे। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण तभी संभव है जब पुरूषों की स्त्री के प्रति सोच बदलेगी। दैनिक जीवन में स्त्री एवं पुरूष के बीच की भेदभाव वाली धारणाओं को खत्म करना होगा। भाटिया ने इट्स पॉसिबल नामक जेंडर कैंपन को एक नया एवं सकारत्मक प्रयास बताया व कहा कि लिंग समानता के मुद्दे को खत्म कर महिलाओं को सशक्त बनाने की मुहिम में विभाग या सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है बल्कि इसमें संस्थाओं, युवाओं, शिक्षाविद, मीडिया सभी का सहयोग हमेशा अपेक्षित रहती है।
कार्यक्रम में खेलकूद,कला संस्कृति एवं युवां कार्य विभाग के निदेशक रणेंद्र जी ने कहा कि नैतिकता के आधार पर लिंग समानता को देखने के बजाए बर्चास्व के दृष्टिकोण से भी देखने की आवश्यकता है। उन्होंने फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान समय की फिल्में भी पितृसत्ता एवं सेक्स सत्ता को समाज में और मजबूती प्रदान करती है। वहीं सीसीएल की डॉ0 किरण ने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को उतना अवसर नहीं दिया गया जितना उनका अधिकार है। कार्यक्रम का संचालन में स्टेट मैनेजर जॉनसन टोपनो,कार्यक्रम पदाधिकारी धीरज होरो ने किया।