लंदन, (हि.स.)। फेसबुक एकाउंट आपका होता है, लेकिन आपकी टाइमलाइन पर अपका सर्वाधिकार सुरक्षित नहीं है। फ़ेसबुक तय करता है कि क्या दिखे और क्या नहीं दिखे। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।
ब्रिटेन के समाचार पत्र ‘दी गार्डियन’ ने यह खुलासा फ़ेसबुक के लीक हुए आंतरिक दस्तावेज़ों के आधार पर किया है। वैसे फ़ेसबुक की नियमावली के तहत यह तय किया जाता है कि पोस्ट बहुत हिंसक, सेक्सुअल, नस्लभेदी, नफ़रत फैलाने वाली या आतंक का समर्थन करने वाली तो नहीं है।
दी गार्डियन के अनुसार, फ़ेसबुक के मोडरेटरों के पास काम बहुत ज़्यादा है और किसी भी पोस्ट पर निर्णय लेने के लिए उनके पास बस कुछ सेकंड का समय होता है।
हालांकि ब्रिटेन के सांसदों ने हाल ही में कहा है कि बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां हानिकारक कंटेंट से निपटने में नाकाम हो रही हैं। लेकिन अख़बार का कहना है कि उसके पास सौ से ज़्यादा नियमावलियां है जिनका इस्तेमाल फ़ेसबुक के मॉडरेटर यह तय करने में करते हैं कि फ़ेसबुक पर क्या प्रकाशित किया जा सकता है और क्या नहीं।
इन नियमवालियों में भड़काऊ भाषण, रिवेंज पोर्न, आत्महत्या, धमकियां या हिंसक गतिविधियों से जुड़े कंटेंट की निगरानी के नियम हैं। अख़बार ने फ़ेसबुक में काम करने वाले जिन कंटेंट मॉडरेटरों के साक्षात्कार किए हैं उनका कहना है कि फ़ेसबुक के कंटेंट का आंकलन करने की नीतियां "असंगत" और "अजीब" हैं। उनका कहना था का सेक्स से जुड़े कंटेंट पर फ़ैसला लेना सबसे उलझाने वाला होता है।
उल्लेखनीय है कि फेसबुक पर मानव मॉडरेटर संभावित विवादित पोस्टों पर नज़र रखते हैं। इसके अलावा कृत्रिम इंटेलिजेंस के आधार पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट पर नज़र रखी जाती है। फ़ेसबुक ने हाल ही में कहा था कि कंटेंट पर नज़र रखने के लिए तीन हज़ार लोगों की भर्ती की जा रही है।