लास एंजेल्स, (हि.स.)। जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर कार्बन डाईआक्साइड और ग्रीन हाउस उत्सर्जन में भारी कामी लाने के भारतीय प्रयासों की अमेरिका में सराहना हो रही है और साथ ही ट्रंप प्रशासन को सीख लेने की नसीहत दी गई है।
समाचार पत्र न्यू यार्क टाइम्स में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि अमेरिका को इन प्रयासों से सीख लेनी चाहिए। भारत और चीन ने पेरिस जलवायु परिवर्तन के एजेंडे के तहत निर्धारित समय से पहले सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा से 40 प्रतिशत ऊर्जा हासिल करने के लक्ष्य के प्रति प्रतिबधता दिखाई है जो सराहनीय है।
अखबार ने कहा है कि ग्रीन हाउस उत्सर्जन मामले में चीन जहां पहले स्थान पर है, वहीं भारत तीसरे स्थान पर है। लेकिन दोनों देशों ने कार्बन उर्त्सजन कम करने की दिशा में आश्चर्यजनक प्रयास किए हैं। एक वक्त था जब भारत और चीन को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के मार्ग में बाधक समझा जाता था। लेकिन अब यह सोच बदल चुकी है।
भारत ने इस क्षेत्र में मूल्यधारित संसाधनों का इस्तेमाल किया है, जबकि ट्रंप प्रशासन इस दिशा में पिछड़ गया है। इस सन्दर्भ में भारत सौर ऊर्जा के डेवलपर्स ने बिजली की दरों की घोषणा करते हुए कहा है कि वह ग्रिड को 2.44 रु. प्रति किलोवाट की दर से बिजली देगा, जो पिछले साल की तुलना में 50 प्रति शत कम है और कोयला आश्रित ऊर्जा से 24 प्रतिशत कम है।
उधर, चीन ने अगले साल तक इलेक्ट्रिक कार की बिक्री 70 प्रतिशत करने का लक्ष्य तय किया है, जबकि भारत ने साल 2030 तक बाजार में शत प्रतिशत इलेक्ट्रिक कारें उतारने की इच्छा जाहिर की है जो स्वागत योग्य है। सम्पादकीय में भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि भारत को भविष्य में कोयला आश्रित बिजली घर बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अखबार ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए भारतीय प्रयासों की सराहना करते हुए उममीद जताई है कि इससे दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिलेगी, जन स्वास्थ्य में एक बड़े अंतर को महसूस किया जाएगा और प्रतिस्पर्धात्मक ऊर्जा से आर्थिक विकास होगा।