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सीपीईसी का कश्मीर मुद्दा से कोई लेना देना नहीं : चीन
By Deshwani | Publish Date: 18/4/2017 4:39:54 PM
सीपीईसी का कश्मीर मुद्दा से कोई लेना देना नहीं : चीन

बीजिंग, (हि.स.)। चीन ने सफाई देते हुए कहा है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का कश्मीर मामले से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। साथ ही पड़ोसी देश ने ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना में शामिल होने के लिए नई दिल्ली का स्वागत भी किया है।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 14-15 मई से होने वाले ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) शिखर सम्मेलन को लेकर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यहां कोई भारतीय नेता नहीं होंगे, लेकिन ओबीओआर शिखर सम्मेलन में भारत का एक प्रतिनिधि होगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वांग ने कहा, “ हम शिखर सम्मेलन वार्ता में शामिल होने के लिए भारतीय प्रतिनिधि और भारतीय व्यापारिक एवं वित्तीय समुदाय के सदस्यों का स्वागत करते हैं।” 

उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में 28 राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों के भाग लेने की संभावना है और ओबीओआर सभी प्रतिभागियों के साझा विकास के लिए है। यही वजह है कि “ हम ओबीओआर के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भारत का स्वागत करते हैं।” वांग ने कहा कि 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का उद्देश्य आर्थिक सहयोग एवं विकास है।

उल्लेखनीय है कि सीपीईसी 46 अरब अमेरिकी डॉलर की महत्वकांक्षी योजना है। इसके तहत चीन और पाकिस्तान अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह को शिंजियांग से जोड़ने के लिए करीब 3,000 किलोमीटर लंबा आर्थिक गलियारा बना रहे हैं। यह कदम चीन में तेल परिवहन के लिए एक नया और सस्ता मालवाहक मार्ग खोलेगा। साथ ही इस रास्ते से चीनी वस्तुओं का मध्य पूर्व और अफ्रीका में निर्यात होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि सीपीईसी और ग्वादर बंदरगाह चीन और पाक की सैन्य क्षमताएं बढ़ाएगा तथा अरब सागर में चीनी नौसेना की आसान पहुंच को संभव बनाएगा। ग्वादर में नौसैनिक अड्डा होने से चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपने बेड़े की मरम्मत और रखरखाव जैसे कार्य के लिए भी बंदरगाह का इस्तेमाल कर पाएंगे। ऐसी कोई भी सुविधा चीन की नौसेना के भविष्य के मिशनों के लिए उसे सहयोग प्रदान करने वाली पहली ओवरसीज सुविधा होगी।

भारत ने इस गलियारे को लेकर चीन से आपत्ति जताई है, क्योंकि यह पाक अधिग्रहित कश्मीर से होकर गुजरता है। चीन ने यह कहते हुए परियोजना का बचाव किया है कि इससे क्षेत्रीय विकास में मदद मिलेगी।

इतना ही नहीं भारत की चिंता ग्वादर बंदरगह को लेकर भी है। इस बंदरगाह के जरिए चीन भारत को घेरने की रणनीति पर निश्चित रूप से आगे बढ़ेगा। 

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