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मां शारदा कष्टहरणी और सामाजिक समरसता की प्रतीक : स्वामी सर्वदेवानंदा
By Deshwani | Publish Date: 11/12/2017 7:22:33 PM
मां शारदा कष्टहरणी और सामाजिक समरसता की प्रतीक : स्वामी सर्वदेवानंदा

 लॉस एंजेल्स, (हि.स.) | स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिनी और गुरु मां शारदा का 164वाँ जन्म दिवस, पूजा-अर्चना, हवन और प्रार्थना सभाओं के साथ अमेरिका के विभिन्न स्थानों पर सामाजिक समरसता के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर नार्थ हालीवुड स्थित वेदांत मंदिर में आयोजित मुख्य समारोह में बंगाली समुदाय के साथ अन्य समुदायों के प्रवासी भारतीय भारतीयों ने पारम्परिक वेशभूषा में सोल्लास भाग लिया। इस समारोह में बड़ी संख्या में अमेरिकी वेदांत अनुयाइयों ने भी भाग लिया। इधर कैलिफ़ोर्निया के सेंटा बारबरा में वेदांत सोसाइटी स्थित रामकृष्ण मठ के चारों ओर आग की लपटों से घिरे होने के कारण श्री मां के जन्म दिवस पर प्रार्थना सभा और हवन का कार्यक्रम अंतिम क्षणों में रद्द करना पड़ा |

लॉस एंजेल्स में नार्थ हालीवुड स्थित वेदांत सोसाइटी भवन के विशाल प्रांगण में हवन और पुष्पांजलि के पश्चात मठ प्रभारी स्वामी सर्वदेवानंदा ने क्रिसचैनटी की नज़र से हिंदू धर्म की व्याख्या करते हुए सर्व धर्म समभाव पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि कष्ट हारिनी श्री मां ने जीवन पर्यन्त अपने दीन दुखी अनुयाइयों की पीड़ा को अपना समझा और सारे विश्व को अपना समझने व किसी को अपरिचित नहीं समझने की प्रेरणा दी। वह इस बात पर ज़ोर देती रहीं कि यह पूरा विश्व आपका अपना है। सच तो यह है कि कोलकाता के समीप बेलूर मठ में श्री मां के पास अधिकृत तौर पर कोई पद न होते हुए भी स्वामी विवेकानंद सहित देश भर में फैले मठों में साधक और संत उन्हें नेतृत्वकर्ता के रूप में देखते थे।
उन्होंने कहा कि श्री मां के रूप में बहुचर्चित शारदा और रामकृष्ण का विवाह अलौकिक था। विवाह के बारह वर्ष बाद अठारह वर्ष की आयु में श्री मां जब दक्ष्नेश्वर पहुँची थीं, तब उन्होंने पूछा था, मैं आपकी कौन हूँ? इस पर राम कृष्ण ने कहा था कि जो मां काली की मूर्ति में विराजमान हैं, वही मां आपके रूप में देख रहा हूँ। इसके पश्चात शारदा ने ग्रह्स्थ्ता के साथ-साथ आध्यात्मिक जीवन व्यतीत किया। रामकृष्ण ने मृत्यु से पहले फलाहारिनी काली पूजा की रात शारदा की जगतमाता के रूप में पूजा की।
इस समारोह में भाग लेने के लिए सुबह से ही पारम्परिक वेशभूषा में मुख्यतया बंगाली समुदाय के लोग एकत्र होने लगे थे। वेदांत चर्च, जिसे रामकृष्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, के सभागार में मुख्य मंदिर और श्री मां के एक बड़े चित्र को सजाया गया था। वेदांत अनुयाइयों ने रंग बिरंगे फूलों से मंदिर में मूर्तियों को सजाया हुआ था। श्री मठ के प्रमुख स्वामी सर्वदेवानंदा क़रीब दो घंटों तक विधि विधान से पूजा-अर्चना की | इस बीच दो दशकों से अमेरिका में रहा रहे अमित घटक और उनके पुत्र ने श्री मां की स्मृति में बंगाली लोकगीत में गुरु वंदना की। इसके बाद एक साथ सात महिलाओं ने सस्वर हिंदी में ‘’ जय जगदंबे शारदा मां, मंगल मूर्ति नमो-नमो,” जय जय जननी, जय श्री शारदामणि, करुणारूपणी जय माँ तथा “शारदे ओह शारदे, विघ्न विनाशनी शारदे ” आदि भजनों से सभागार को भाव विभोर कर दिया। दोपहर के सत्र में स्वामी सर्वदेवानंद के उद्बोधन से पूर्व सुप्रसिध संगीतकार सुमन लोहा की टीम ने एक भजन मंडली ने अनेक वाद्य यंत्रों के साथ गुरु वंदना की। इसमें एक आठ वर्षीय बालक शेखोर भी था, जिसने सितार पर अपनी नन्हीं अंगुलियों के साथ अदभुत प्रदर्शन किया। 
सैन डीएगो, न्यूयार्क और नार्थ कैरोलाइना में भी आज रविवार को छुट्टी के दिन श्री मां की स्मृति में हवन और पूजा-अर्चना के साथ प्रार्थना सभाओं में उन्हें जगतमाता और सामाजिक समरसता के रूप में याद किया गया। इस अवसर पर श्वेत अमेरिकी और भारतीय अमेरिकी मौजूद थे। अमेरिका के विभिन्न नगरों में वेदांत सोसाइटी के पच्चीस केंद्र हैं।
सेंटा बारबरा वेदांत मंदिर में आग की लपटें, अफरा तफरी 
लॉस एंजेल्स से क़रीब एक सौ मील दूर कैलिफ़ोर्निया के सेंटा बारबरा में वेदांत सोसाइटी स्थित रामकृष्ण मठ के चारों ओर आग की लपटों से घिरे होने के कारण श्री मां के जन्म दिवस पर प्रार्थना सभा और हवन का कार्यक्रम अंतिम क्षणों में रद्द करना पड़ा | इस संदर्भ में नार्थ हालीवुड स्थित श्री मां के 164वें जन्मोत्सव समारोह में स्वामी सर्वदेवानंदा ने बताया कि सेंटा बारबरा स्थित मंदिर में साधकों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। मंदिर के चारों ओर थामस जंगली आग से पीड़ित लोगों के प्रति प्रार्थना भी की गई। इस मठ में पिछले चार दिनों से कैलिफ़ोर्निया दमकल विभाग और पुलिस ने डेरा जमाया हुआ है। इस मंदिर के निवासियों को आज सुबह ख़ाली करा लिया गया है। अभी तक किसी क्षति की कोई ख़बर नहीं है। 
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