गिलगिट (पीओके), (हि.स.)। पाकिस्तान की ओर से लगाए गए अनैतिक करों के खिलाफ यहां के लोगों की आवाज दिनोंदिन बुलंद हो रही है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों का प्रदर्शन लगातार जारी है। साथ ही व्यापारी दुकानों के शटर गिराकर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये लोग पाकिस्तान पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप भी लगा रहे हैं। इस संबंध में एक वकील मोहम्मद खान ने कहा कि गिलगिट बल्टिस्तान इलाके में कोई भी कर लगाना अनैतिक कार्रवाई है, क्योंकि यहां के लोगों का ना तो नेशनल असेंबली व सीनेट में कोई प्रतिनिधित्व है और ना ही कोई संवैधानिक अधिकार मिला हुआ है।
अधिकांश कानूनी विशेषज्ञों की यही राय है कि पहले गिलगिट बल्टिस्तान के लोगों को संविधनिक अधिकार दिया जाना चाहिए और इसके बाद उन पर कर लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों पर कोई कर नहीं लगाया जाता है, जबकि वे संविधान के अभिन्न अंग हैं। ठीक इसके उलट उन्हें तो सब्सिडी दी जाती है।
एक अन्य वकील ने कहा कि हाल में कर लगा कर पाकिस्तान ने अनैतिक कदम उठाया है, क्योंकि गिलगिट बल्टिस्तान के लोग के नागरिकता अधिनियम 1951 के अधीन नहीं आते हैं। गिलगिट बल्टिस्तान अधिकारिता अध्यादेश 2009 के तहत यहां के लोगों को अलग दर्जा मिला हुआ है। वे यहां के लोगों पर कर लगा रहे हैं, लेकिन संविधानिक अधिकार नहीं दे रहे हैं।
यहां के स्थानीय लोग समृद्ध खनिज संसाधन के दोहन के एवज में रॉयल्टी की मांग कर रहे हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी इस इलाके से गुजर रहा है। यह भी चीन और पाकिस्तान का एक अनैतिक कदम है। लोग यहां के खनिज संसाधनों के दोहन करने और पारिस्थितिकी असंतुलन की स्थिति के लिए भी इन दोनों देशों की निंदा कर रहे हैं।
विदित हो कि गिलगिट-बल्टिस्तान जम्मू एवं कश्मीर रियासत का अंग था, जिस पर पाकिस्तान विगत 70 वर्षों से कब्जा जमाए हुए है।