मनीला, (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समूह (आसियान) के प्रमुखों को इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया है। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
मोदी ने यह आमंत्रण आसियान के 31वें शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “ 125 करोड़ भारतीय 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान नेताओं के स्वागत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
मोदी का आसियान देशों को लेकर सकारात्मक रवैया यह दर्शाता है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भारत अपना दबदबा कायम करने में लगा है। विदित हो कि आसियान का 31वां शिखर सम्मेलन फिलीपींस की राजधानी मनीला में आयोजित किया गया।
व्यापार, संस्कृति और कनेक्टिविटी आसियान के साथ भारत की मजबूत साझेदारी के तीन आधार स्तंभ हैं। आसियान विकासशील देशों का गुट है। ऐसे में इन देशों में व्यापार की काफी संभावनाएं हैं। भारत मुख्य रूप से आसियन के साथ व्यापार और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी करने की इच्छा रखता है। भारत का बड़ा व्यापार दक्षिण चीन सागर में होता है जो इस समूह के क्षेत्र में आता है। व्यापार की वजह से अमरीका, चीन और जापान जैसे शक्तिशाली देश इस समूह में खासी रुचि रखते हैं।
एक वक्त था जब आसियान में अमेरिका का खास दबदबा था, लेकिन वक्त के साथ चीन इस क्षेत्र में शक्तिशाली बनकर उभरा और इस लिहाज से आसियान में उसका दबादबा कायम हो गया। मोदी का आसियान को लेकर साकारात्मक होना चीन के लिए अपने दबदबे को कायम रखने की चुनौती है।
हालांकि भारत पिछले 25 साल से आसियान के साथ अपासी सहयोग के एजेंडे पर काम कर रहा है। लेकिन मोदी की यह पहल मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इससे आसियान के साथ भारत का संबंध और मजबूत होगा।
आसियान में भारत का दबदबा कायम करने में अमेरिका भी उसका साथ दे रहा है, क्योंकि वह चीन के साथ सीधा टकराव नहीं चाहता है। इस वजह से भारत को चीन के खिलाफ बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि आसियान में शामिल देश चीन से खासे प्रभावित रहते हैं। इसकी एक वजह चीन का आक्रामक रवैया है।