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भारत को डोकलाम गतिरोध से सबक सीखना चाहिए : चीन
By Deshwani | Publish Date: 30/8/2017 4:28:48 PM
भारत को डोकलाम गतिरोध से सबक सीखना चाहिए : चीन

बीजिंग। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को कहा कि डोकलाम में भारत और चीन के बीच 73 दिन से चला आ रहा गतिरोध भारत द्वारा सैनिक हटाए जाने के बाद समाप्त हुआ और नयी दिल्ली को इससे ‘सबक सीखना’चाहिए तथा भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकना चाहिए। भारत और चीन ने सोमवार को डोकलाम में क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक हटाकर गतिरोध समाप्त कर दिया था। यह घटनाक्रम अगले हफ्ते ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन की यात्रा पर जाने से पहले हुआ। वांग ने शियामेन शहर में अगले सप्ताह होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बारे में यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
वांग ने यहां मीडिया से कहा, ‘भारतीय सैनिकों की अवैध घुसपैठ का मामला सुलझा लिया गया है।’वह चीनी मीडिया में आई इन खबरों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे कि भारत ने मामले के समाधान पर पहुंचने के बाद अपने सैनिक हटा लिए जिससे कि चीन अपना चेहरा बचा सके। उन्होंने कहा कि मीडिया अपने कयास लगा सकता है और रिपोर्ट लिख सकता है, लेकिन चीन सरकार के पास मौजूद ‘आधिकारिक सूचना’के अनुसार भारतीय सैनिक 28 अगस्त को दोपहर बाद क्षेत्र से हट गए जिससे ‘गतिरोध खत्म हो गया।’ उन्होंने कहा,‘यह मूल तथ्य है, हम उम्मीद करते हैं कि भारत इस घटना से सबक सीखेगा और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकेगा।’नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने चीनी विदेश मंत्री की टिप्पणियों पर तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। डोकलाम में दोनों देशों के सैनिकों के बीच 16 जून से तब से गतिरोध चला आ रहा था जब भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस इलाके में सड़क बनाने से रोक दिया था। चीन और भूटान के बीच डोकलाम एक विवादित क्षेत्र है। भारतीय सेना ने सड़क निर्माण का काम रुकवा दिया था क्योंकि इससे चीन को भूटान-चीन-भारत त्रि-संगम (ट्राई जंक्शन) क्षेत्र में मोदी और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात होगी? 
दोनों देशों के बीच मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्री ने कहा,‘भारत और चीन दो बड़े देश हैं। यह स्वाभाविक है कि हमारे बीच कुछ समस्याएं हैं।’उन्होंने कहा, ‘जो उचित है, वह यह कि हम इन मतभेदों को उचित स्थान पर रखते हैं और पारस्परिक सम्मान के तहत तथा हमारे नेताओं की सहमति के बाद हमें इन्हें उचित तरीके से देखने तथा प्रबंधित करने की आवश्यकता है।’वांग ने कहा, ‘साथ ही विभिन्न तंत्रों के जरिए हमारी बातचीत से हमें दीर्घकालिक समाधान के लिए काम करने की आवश्यकता है।’उन्होंने इस सवाल का भी सीधा उत्तर नहीं दिया कि क्या मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात होगी। 
वांग ने कहा कि शामिल होने वाले नेताओं के बीच बैठकें और मुलाकात होंगी जो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। भारत ने मंगलवार को घोषणा की थी कि मोदी शियामेन शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे चीनी विदेश मंत्री ने कहा, ‘ब्रिक्स बैठक से इतर शी कुछ नेताओं से उनके आग्रह पर मुलाकात भी करेंगे। प्रबंध हो जाने पर हम आपको अवगत कराएंगे। पहली चीज यह है कि नेता मिलने की इच्छा रखते हैं या नहीं। यदि बैठक में शामिल हो रहे नेताओं की इच्छा होती है और हमारा निर्धारित कार्यक्रम इसकी इजाजत देता है तो मेजबान के रूप में चीनी पक्ष इसे संभव बनाने की कोशिश करेगा।’
ब्रिक्स के महत्वपूर्ण देशों भारत और चीन के बीच मतभेद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि चीनी और भारतीय लोगों के हित में तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पड़ोसी देशों की आकांक्षा को पूरा करने के लिए, ‘हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्षों के प्रयासों से हम चीन-भारत संबंधों के लिए वृद्धि की स्वस्थ एवं मजबूत गति को बरकरार रखेंगे।’वांग ने कहा कि चीन और भारत के बीच वृहत्तर सहयोग के लिए व्यापक संभावना और जगह है तथा इस तरह का सहयोग दोनों देशों के हितों को पूरा करता है। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि एशिया के कायाकल्प तथा हमारे क्षेत्र के विकास और वृहतर विकास में अपने हिस्से का योगदान देने के लिए चीन और भारत हाथ मिलाएंगे।’ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन तीन से पांच सितंबर तक चीन के शियामेन में आयोजित होगा।
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