दोहा, (हि.स.)। अरब देशों की पाबंदियां झेल रहे क़तर ने अब उन्हें बातचीत की मेज़ पर लाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में आधिकारिक शिकायत करके उनके व्यापारिक बहिष्कार को चुनौती दी है। यह जानकारी मंगलवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
बीबीसी के अनुसार, अब इस विवाद का हल निकालने की कोशिश डब्ल्यूटीओ की प्रक्रिया के तहत की जाएगी। इसका यह तात्पर्य है कि सऊदी अरब, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को क़तर के साथ बातचीत की मेज़ पर आना होगा, जबकि इससे पहले इन देशों ने कतर से किसी भी तरह की बातचीत के लिए उसके सामने 13 शर्तें रखी थीं।
हालांकि क़तर ने आरोपों और पाबंदियां हटाने के लिए अरब देशों की शर्तों को ख़ारिज़ कर दिया था।
नियमानुसार, डब्ल्यूटीओ की सामान्य प्रक्रिया से अगर 60 दिनों के भीतर कोई हल नहीं निकला तो यह विवाद डब्ल्यूटीओ की ओर से नियुक्त एक पैनल को दे दिया जाएगा। हालांकि विश्व व्यापार संगठन ने बीबीसी से कहा कि उसे अब तक इसकी जानकारी नहीं मिली है, इसलिए वह इसकी पुष्टि नहीं कर सकता है।
विदित हो कि सऊदी अरब, बहरीन और यूएई ने गत 5 जून को क़तर पर चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए संबंध तोड़ लिए थे। उन्होंने अरब में रह रहे क़तर के नागरिकों को 14 दिनों के भीतर देश छोड़ने को कह दिया था और अपने नागरिकों के भी क़तर आने-जाने पर पाबंदी लगा दी थी।
मिस्र ने भी क़तर से राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे, लेकिन वहां रह रहे अपने 1.80 लाख नागरिकों पर पाबंदियां नहीं लगाई थीं। यमन और लीबिया की सरकारों ने भी बाद में ऐसा ही किया था।
तेल समृद्ध क़तर लंबे समय से महत्वाकांक्षी विदेश नीति अपनाए हुए था, लेकिन दो प्रमुख मुद्दों पर उसके पड़ोसी अरब देश ख़ासे नाराज़ हो गए। इसके अलावा क़तर के ईरान से बेहतर होते संबंध अरब देशों को खल रहा है। शिया मुस्लिम शक्ति ईरान और सुन्नी मुस्लिम ताक़त सऊदी अरब प्रमुख क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी हैं। लेकिन ईरान के साथ क़तर दुनिया का सबसे बड़ा गैस फील्ड साझा करता है।