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‘डोकलाम विवाद के लिए डोभाल जिम्मेवार ’
By Deshwani | Publish Date: 25/7/2017 1:19:18 PM
‘डोकलाम विवाद के लिए डोभाल जिम्मेवार ’

बीजिंग, (हि.स.)। डोकलाम को लेकर लगातार भारत की ओर आक्रामक रुख अपना रही चीनी मीडिया ने इस पूरे विवाद के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को जिम्मेवार ठहराया है। यह जानकारी मंगलवार को मिली।
 
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अब सीधे तौर पर डोभाल को निशाने पर लिया है और लिखा है कि चीन और भारत के बीच चल रहे डोकलाम विवाद के पीछे वे ही मुख्य कर्ता हैं। वहीं, भारतीय मीडिया इस तरह का माहौल बना रही है जैसे उनकी यात्रा से सब ठीक हो जाएग। विदित हो कि डोभाल 27 जुलाई को ब्रिक्स की बैठक में हिस्सा लेने बीजिंग जाएंगे।
 
अखबार ने आगे लिखा है कि अगर भारत ऐसा सोचता है कि डोभाल की यात्रा से बीजिंग मान जाएगा, तो यह बिल्कुल गलत है। सीमा का मुद्दा सुलझाने के लिए डोभाल की यात्रा का समय ठीक नहीं है। इस मामले में भारत की इच्छा के अनुरूप कुछ नहीं होगा। 
 
अखबार का यह लेख ऐसे समय में आया है, जब चीन की ओर से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया गया है। सोमवार को ही चीनी सेना की ओर से इस मुद्दे पर कड़ा बयान आया था, जिसमें कहा गया था कि पहाड़ को हटाना मुश्किल है, पर चीनी सेना को हटाना नामुमकिन है।
 
हालांकि सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि चीनी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और डोभाल में बातचीत हो सकती है। लेकिन साथ ही उन्होंने डोकलाम मुद्दे पर कोई सकारात्मक बात होने की आशंका जताई थी। साथ ही यह भी कहा गया है कि सीमा से भारतीय सेना को हटाना ही दोनों देशों में बातचीत का एक मात्र शर्त है। बीजिंग का ये दायित्व नहीं है कि वह दिल्ली के साथ बात करे और सेना हटाने या सड़क निर्माण रोकने की अपील करे।
 
चीन की ओर से भारत के साथ इस मुद्दे पर तब तक कोई बात नहीं की जाएगी, जब तक भारत अपनी सेना नहीं हटा लेता है। अखबार ने लिखा है कि ब्रिक्स में होने वाली बैठक एक नियमित बैठक है। यह चीन-भारत के बीच सीमा मुद्दा को सुलझाने की सही जगह नहीं है। 1962 की जंग का उदाहरण देते हुए अखबार ने लिखा कि अगर भारत ने अपनी सेना नहीं हटाई तो चीन इस पर कड़ा एक्शन लेगा।
 
लेख में कहा गया है कि चीनी सेना इतने कड़े एक्शन ले सकती है जो भारतीय सरकार और सेना सोच भी नहीं सकती है। ऐसा नहीं लगता है कि भारत चीन के साथ सैन्य संघर्ष के लिए तैयार है। अगर वह इस रास्ते को चुनता है तो चीन अपनी रक्षा करने के लिए पूरी तरह सक्षम है और नई दिल्ली को इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी होगी।
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