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पाकिस्तान से संबंध करने को अमेरिका में विधेयक पेश
By Deshwani | Publish Date: 23/6/2017 3:45:50 PM
पाकिस्तान से संबंध करने को अमेरिका में विधेयक पेश

 वाशिंगटन, (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार को शुरू होने जा रही अमेरिका यात्रा से पहले दो वरिष्ठ अमेरिकी सांसदों ने द्विदलीय विधेयक पेश किया है, जिसमें पाकिस्तान के साथ अमेरिकी संबंधों में कटौती की मांग की गई है। यह जानकारी शुक्रवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

विदित हो कि रिपब्लिकन सांसद टेड पो और डेमोक्रेट सांसद रिक नोलन ने शुक्रवार को विधेयक पेश किया, जिसमें पाकिस्तान का महत्वपूर्ण गैर-नाटो सहयोगी दर्जा रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देता है और 'आतंकवाद से लड़ने के लिए दी गई रकम के प्रति कतई जवाबदेही नहीं दर्शाता है।

यह विधेयक ऐसे वक्त में पेश किया गया है, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहली बार मिलने जा रहे हैं और उनके बीच होने वाली मुलाकात में आतंकवाद तथा दक्षिण एशिया में रिश्तों के बारे में प्रमुखता से बात होने की संभावना है।

टेड पो ने अमेरिकी संसद में पाकिस्तान के खिलाफ बेहद कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, "पाकिस्तान के हाथों पर लगे अमेरिकी खून के लिए उसे जवाबदेह बनाना ही होगा। ओसामा बिन लादेन को शरण देने से लेकर तालिबान का साथ देने तक पाकिस्तान ज़िद्दी और अड़ियल तरीके से उन आतंकवादियों के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने से इंकार करता रहा है जो हर विरोधी विचारधारा को नुकसान पहुंचाने पर अड़े हैं। हमें साफ तौर पर पाकिस्तान से दूरी बना लेनी चाहिए, लेकिन कम से कम हमारे अत्याधुनिक हथियारों तक उसकी पहुंच नहीं होनी चाहिए।"

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को वर्ष 2004 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अपने कार्यकाल में अहम गैर नाटो देश का दर्जा दिया था, ताकि वह अल-कायदा और तालिबान से लड़ने में अमेरिका की मदद कर सके। किसी भी एमएनएनए देश को रक्षा सामग्री की आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर की जाती है। हथियार खरीद प्रक्रिया तेज़ गति से चलती है तथा अमेरिका से ऋण गारंटी प्रोग्राम दिया जाता है, जिसके तहत प्राइवेट बैंकों की ओर से हथियार निर्यात के लिए दिए जाने वाले कर्ज़ों की ज़िम्मेदारी ली जाती है। ऐसे देश अमेरिकी सैन्य हार्डवेयर जमा कर सकते हैं, रक्षा अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों में शिरकत कर सकते हैं और उन्हें शेष देशों की तुलना में अत्याधुनिक हथियार बेचे जा सकते हैं।

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