कराची, (हि.स.)। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक सोलह साल की हिन्दू लड़की के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन कराने के बाद उससे निकाह किया गया। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। बीबीसी के अनुसार, सिंध के रेगिस्तानी इलाके थारपरकर के ननगरपारकर थाने में सतराम मेघवाड़ की फरियाद पर अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी के अनुसार, अभियुक्त अली नवाज शाह पर रेवता मेघवाड़ का जबरन धर्मपरिवर्तन कराने और उससे निकाह करने का आरोप है।
फरियादी सतराम मेघवाड़ ने बताया कि छह जून की रात जब सभी लोगों सो रहे थे तब कुछ लोग उनके घर में दाखिल हुए और रवेता को जबरन साथ ले जाने की कोशिश की। लड़की की चीख-पुकार पर उसका चचेरा भाई हरीश उठ गया। हरीश ने अली नवाज़ शाह और उनके साथियों को पहचान लिया। नवाज़ अली शाह ने धमकी दी और लड़की को जबरन अपने साथ ले गया।
सतराम मेघवाड़ ने प्राथमिकी में बताया है कि लड़की के अपहरण की शिकायत उन्होंने इलाके के बड़े लोगों से भी की थी, लेकिन अभी तक लड़की को वापस नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज कराया है। बीबीसी के अनुसार, उमरकोट ज़िले के सामारू इलाके में स्थित धार्मिक केंद्र 'मजदीदया गुलज़ार खलील' में गत सोमवार को रवेता का धर्म परिवर्तन कराया गया और उसी दिन अयूब जान सरहिंदी के दस्तखत से मदरसे का प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिसमें रवेता का नाम गुलनाज़ लिखा गया है। इस प्रमाण पत्र में लड़की की उम्र 18 साल बताई गई है, जबकि लड़की के माता पिता के पास मौजूद प्राथमिक स्कूल प्रमाण पत्र के अनुसार रवेता की उम्र 16 साल है।
कथित जबरन धर्म परिवर्तन के बाद उसी दिन मदरसे में रवेता का नवाज़ अली शाह के साथ शादी कराई गई जिसमें कहा गया है कि दो गवाहों की मौजूदगी में दूल्हे और दुल्हन की स्वीकृति के बाद ये निकाह पढ़ाया गया। विदित हो कि पिछले साल सिंध असेंबली ने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक कानून पारित किया था। इस कानून के तहत अगर कोई नाबालिग यह दावा करता है कि उसने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो उसके दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
हालांकि नाबालिग के माता पिता या अभिभावक अपने परिवार सहित धर्म बदलने का फैसला कर सकते हैं। जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने वाला ये क़ानून शादी से लेकर बंधुआ मजदूरी तक के मामलों में लागू होता है। इस कानून के अनुसार अगर किसी पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप सिद्ध हो जाता है तो अभियुक्त को पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई जाएगी और जुर्माने की राशि पीड़ित पक्ष को दिया जाएगा।