तेहरान, (हि.स.)। ईरान में महिलाएं सिर ढकने के नए इस्लामिक कट्टरपंथी कानून का जमकर विरोध कर रही हैं। सोशल मीडिया पर इस क़ानून को लेकर अभियान शुरू हो गया है। यह जानकारी गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। ईरानी महिलाओं के विरोध का अंदाज भी कुछ अलग है।वे काले रंग के बजाए सफ़ेद रंग का इस्तेमाल कर रही हैं। सफ़ेद हिजाब और सफ़ेद कपड़ों वाली अपनी तस्वीरों को वे हैशटैग व्हाइट वेडनसडे के साथ शेयर कर रही हैं।
इतना ही नहीं कुछ वीडियो में तो महिलाएं बिना हिजाब के गलियों में घूमती दिखाई दे रही हैं। दरअसल, मशिह अलीनेजाद ने ऑनलाइन आन्दोलन 'माय स्टीलदी फ्रीडम' शुरू किया है। यह आन्दोलन विगत तीन साल से चल रहा है। मशिह अमेरिका में रहती हैं, लेकिन महिलाओं के साहस पर वह भी दंग रह गई हैं। उन्होंने कहा, "मैंने एक महिला से जब उनकी सुरक्षा की बात की, तो उन्होंने कहा कि घुटे हुए जीवन से बेहतर है कि मेरी नौकरी ख़तरे में आ जाए।"
विदित हो कि माशिह के अभियान में कुछ स्वयंसेवी उनकी मदद कर रहे हैं। ज़्याबदातर वीडियो और तस्वीरें ईरान की हैं। माशिह के अनुसार, उन्हें कुछ तस्वीरें सऊदी अरब, यूरोप और अमरीका की भी मिली हैं।लेकिन मशीह को उनके अभियान के लिए ईरान के ‘इस्लामिक रिव्यूल्योशनरी गार्ड कॉर्प’ से धमकियां भी मिल रही हैं। कॉर्प एक वेबसाइट ने माशिह की एक पुरानी तस्वीर के नीचे कैप्शन लिखा है, “ माशिह तुम्हारे लिए मौत।” खास बात है कि इस अभियान की तारीफ़ में अफ़ग़ानी महिला ने भी ख़त लिखा है। अफ़ग़ानिस्तान में हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन परिवार वालों द्वारा महिलाओं और लड़कियों पर इसके इस्तेमाल के लिए दबाव डाला जाता है।
उल्लेखनीय है कि 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान की महिलाएं पश्चिमी शैली के परिधान पहना करती थीं, जिसमें मिनी स्कर्ट और शार्ट स्लीव्ड टॉप भी शामिल थे। लेकिन आयातुल्लाह ख़ुमैनी के आने के बाद स्थतियां बदल गईं। उस समय महिलाओं को सिर और घुटना ढंकने के लिए कहा गया था। इसके अलावा महिलाओं के मेकअप करने पर रोक लगा दी गई थी। इसके विरोध में 1979 में करीब एक लाख महिलाएं सड़कों पर उतर आईं थीं।इसके बाद भी महिलाएं समय समय पर विरोध करती रही हैं। तीन साल से चल रही 'माय स्टीलदी फ़्रीडम' अभियान में अब तक तीन हज़ार फ़ोटो और वीडियो शेयर किए जा चुके हैं।