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ब्रिटिश अदालत से माल्या को फिलहाल मिली राहत
By Deshwani | Publish Date: 14/6/2017 1:13:13 PM
ब्रिटिश अदालत से माल्या को फिलहाल मिली राहत

 लंदन, (हि.स.)। ब्रिटेन की वेस्टमिनिस्टर अदालत ने मंगलवार को भारतीय उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई की और पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने के कारण उन्हें 4 दिसंबर तक जमानत दे दी। मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी और इस तिथि पर माल्या को पेश होना होगा। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

हालांकि माल्या अपने उपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अगली सुनवाई की तिथि पर उन्हें अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है, क्यांकि प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई 4 दिसंबर से शुरू होगी और दो सप्ताह तक चलेगी। 
विदित हो कि सुनवाई से पहले कोर्ट के बाहर माल्या ने पत्रकारों से कहा कि मुझे कुछ नहीं कहना है, “मैं सारे आरोप खारिज करता हू।. मैं किसी कोर्ट से भागा नहीं हूं। मेरे पास कोर्ट में मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।”
समाचार एजेंसी रॉयटर के अनुसार, माल्या के वकील बेन वाटसन ने कहा कि भारत ने पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं। इस मामले में और अधिक साक्ष्य और दस्तावेजों की आवश्यकता है। वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा कि भारत उनके साथ बहुत निकटता से काम कर रहा है और वह सभी दस्तावेजों और सबूत उपलब्ध कराएंगे, जिन्हें मांगा जा रहा।
वाटसन ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि माल्या के प्रत्यर्पण के लिए भारत अलग तरह के आरोपों के साथ प्रत्यर्पण का दूसरा मामला भी दायर करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन उसकी विषय वस्तु के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। 
उल्लेखनीय है कि विजय माल्या पर भारत के अलग-अलग बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। बैंकों का कर्ज चुकाने के बजाय माल्या देश छोड़कर फरार हो गए। माल्या साल 2016 से ही लंदन में हैं। भारत ने ब्रिटेन सरकार से माल्या के प्रत्यर्पण की अपील की थी। भारत की मांग पर सुनवाई करते हुए लंदन प्रशासन ने माल्या को रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई थी।
भारत सरकार की ओर से पेश वकील एरॉन वाटकिन्स ने अदालत से कहा कि ब्रिटिश अभियोजक भारत से और दस्तावेज और साक्ष्य मिलने का इंतजार कर रहे हैं जो अगले महीने तक मिल जाएगा।
गौरतलब है कि अगर साक्ष्य और संबंधित दस्तावेज मिलने में देर हुई या प्रत्यर्पण के लिए एक और अनुरोध किया गया तो मामला लंबा खिंच सकता है। क्योंकि ऐसा करने से प्रत्यर्पण प्रक्रिया जटिल हो सकती है और मामले के निपटारा करने में देर होगी।
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