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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिल खोलकर स्वागत किया बालीवुड के सितारों ने
By Deshwani | Publish Date: 22/8/2017 9:21:38 PM मुंबई, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज तीन तलाक को खारिज किए जाने के ऐतिहासिक फैसले का देश के साथ-साथ बालीवुड सितारों ने दिल खोलकर स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाओं में सितारों ने इस फैसले को एतिहासिक और मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मामले में मील का पत्थर करार दिया है।
अनुपम खेर ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है कि ये ऐतिहासिक फैसला है। उन्होंने इसे महिलाओं के मानवाधिकार की जीत बताया। इस फैसले का स्वागत करते हुए फिल्मकार मधुर भंडारकर ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के नए युग की शुरुआत होने जा रही है। अभिनेत्री और फिल्मकार दिया मिर्जा ने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए अपनी पोस्ट में लिखा कि महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष में आज का दिन हमेशा याद रखा जाएगा। कबीर बेदी ने इस फैसले का समर्थन करते हुए अपील करते हुए लिखा कि संसद को इस बारे में जल्दी ही कानून बनाना चाहिए। पूर्व पाक अभिनेत्री सलमा आगा, जिन्होंने इसी मुद्दे पर बनी दिवंगत फिल्मकार बीआर चोपड़ा की फिल्म निकाह में काम किया था, उन्होंने इस कानून के लिए श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहा है कि ये फैसला सकारात्मक है और इससे मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी की असुरक्षा हमेशा के लिए खत्म हो गई। उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद इस बारे में कड़े कानून बनाएगी।
अभिनेत्री भूमि पेड़णेकर ने पोस्ट में लिखा कि महिलाओं के सम्मान को चोट पंहुचाने वाले इस कानून को खत्म करके सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के सम्मान की रक्षा करने का कदम उठाया है। अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने इस फैसले को लेकर कहा कि बेहतर हो कि इस बारे में कोई फैसला मुस्लिम समाज के अंदर से आए, तो वो ज्यादा कारगर साबित होगा। उन्होंने तीन तलाक के मसले को पेंचीदा बताया। परेश रावल ने कहा कि ये भारत की मुस्लिम महिलाओं के सम्मान का दिन है। हाल ही में विवादित फिल्म लिपिस्टिक अंडर माई बुरका की निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने नई क्रांति का संचार बताया और कहा कि आने वाले दिन अब बेहतर एहसास कराएंगे। कोई आदमी मजहब की आड़ मे किसी महिला की जिंदगी से खिलवाड़ करने की हिम्मत नहीं करेगा। इस मुद्दे को लेकर पिछले कई सालों से मुखर होकर आवाज बुलंद करने वाले गीतकार जावेद अख्तर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि देर आए, दुरुस्त आए। जावेद अख्तर का मानना है कि ये फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ की ओर से आता, तो उनको और भी ज्यादा खुशी होती। उन्होंने कहा कि अब मजहबी आजादी और रिवाज के नाम पर महिलाओं के साथ होने वाला क्रूर बर्ताव अब बंद होगा।