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पार्टिशन 1947 : भारत-पाक बंटवारे की त्रासदी का दस्तावेज
By Deshwani | Publish Date: 18/8/2017 3:02:36 PM
पार्टिशन 1947 : भारत-पाक बंटवारे की त्रासदी का दस्तावेज

फिल्म समीक्षा - रेटिंग 3 स्टार 
मुंबई, (हिस)। देश की आजादी के साथ भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की त्रासदी पर कई फिल्में बन चुकी हैं। भारतीय मूल की ब्रिटिश फिल्मकार गुरिंदर चड्ढा ने इसी त्रासदी पर वायसराय हाउस नाम से अंग्रेजी में फिल्म बनाई और इसे हिंदी में डब करके पार्टिशन 1947 नाम से रिलीज किया। गुरिंदर चड्ढा ने इस त्रासदी के साथ हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की प्रेमकथा को जोड़ा और इतिहास के कुछ ऐसे तथ्यों को सामने रखा, जिनसे युवा पीढ़ी अब तक अनजान ही रही। 
फिल्म ब्रिटिश सत्ता से भारत की आजादी की जंग के आखिरी दौर में पाकिस्तान के निर्माण की मांग और इसे लेकर हुए सांप्रादायिक दंगों के बीच अंग्रेजों की एक खौफनाक साजिश का पर्दाफाश करने का दावा करती है। फिल्म के मुताबिक, दूसरे विश्वयुद्ध में हार के बाद ब्रिटेन की हुकुमत ने उसी वक्त न सिर्फ हिंदुस्तान से जाने का फैसला कर लिया था, बल्कि भारत-पाक बंटवारे की योजना भी तैयार कर ली थी। 
सबसे बड़ी बात ये थी कि अंतिम वायसराय बनाकर भारत भेजे गए माउंटबेटेन को भी बंटवारे की इस योजना से दूर रखा गया था। साजिश का सच सामने आने से वे अपनी ही सरकार की साजिश से नाराज नजर आए और उनको इस बात का मलाल रहा कि वे न तो बंटवारा रोक पाए और न ही इस बंटवारे के साथ हिंदू-मुस्लिमों में हुए दंगों को रोक पाए। 
गुरिंदर चड्ढा ने एक मर्मस्पर्शी विषय पर साहसिक फिल्म बनाई, जो इतिहास की परतें उधेड़ती है। ये फिल्म देश की युवा पीढ़ी को आजादी के संघर्ष से ज्यादा बंटवारे की त्रासदी का एहसास कराती है। यही फिल्म की कामयाबी है। इस त्रासदी का शिकार एक प्रेमकथा के साथ भी न्याय किया गया है। 
वायसराय की आलीशान बिल्डिंग में काम करने वाली आलिया के रोल में हुमा कुरैशी ने अपना रोल शानदार तरीके से किया। आलिया के पिता के रोल में ओमपुरी को देखना सुखद रहा। आलिया को चाहने वाले युवा के रोल में मनीष दयाल प्रभावशाली हैं। अंग्रेजी किरदारों के सभी कलाकार अच्छे हैं। 
ये फिल्म मनोरंजन के लिए नहीं है। इसमें मसाले नहीं हैं। ये फिल्म इतिहास के उन अभागे पन्नों को उकेरती है, जब इंसानियत शर्मिंदा हुई थी और दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी ने एक देश को दो हिस्सो मे बांट दिया था। ये गंभीर विषय पर बनी गंभीर फिल्म है, जिसे गंभीर फिल्में पसंद करने वाले दर्शक ही समझ पाएंगे। ये फिल्म उन दर्शकों के लिए ही बनी है। बाक्स आफिस पर ऐसी फिल्मों से ज्यादा उम्मीदें करना बेमानी होगी। 
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