ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
मनोरंजन
''मुन्ना माइकल'': सिर्फ डांस ही डांस
By Deshwani | Publish Date: 21/7/2017 3:33:53 PM
''मुन्ना माइकल'': सिर्फ डांस ही डांस

फिल्म समीक्षा
मुंबई, (हि.स.)। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर बहुत अच्छे डांसर हैं, लेकिन एक फिल्म में डांस के अलावा भी बहुत बातों की जरूरत होती है। इनमें निर्देशन, ठीकठाक सी कहानी और परफॉरमेंस की जरूरत भी होती है। 'मुन्ना माइकल' को नचाने में लगी रही टीम ने इस फिल्म को एक डांसिंग शो जैसा बना दिया, जिसकी कहानी कमजोर, निर्देशन उससे भी कमजोर और सबसे बुरी बात परफॉरमेंस के नाम पर फिल्म शून्य जैसी है। 
कहानी बहुत उलझी हुई नहीं, लेकिन ऐसी है, जिसे तमाम फिल्मों में पहले भी देखा जा चुका है। मुन्ना (टाइगर श्रॉफ) मुंबई में रहता है। वो अनाथ था, जिसे माइकल (रोनित राय) ने पाल पोसकर बड़ा किया। माइकल खुद डांसर था, लेकिन सफल नहीं रहा। वो चाहता है कि मुन्ना बड़े होकर डांसर बने। कहानी मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हो जाती है, जहां मुन्ना का पाला गैंगस्टर महेंद्र फौजी (नवाजुद्दीन) से पड़ता है। महेंद्र फौजी को इसलिए डांसर बनने की धुनक सवार है, क्योंकि वो जिस लड़की डॉली (निधि अग्रवाल) से प्यार करता है, वो डांसर है। उसे डांस सिखाने की जिम्मेदारी मुन्ना को मिलती है। 
चूंकि महेंद्र फौजी गैंगस्टर है, इसलिए डॉली का कनेक्शन मुन्ना से ही होना था। इससे पहले कि मुन्ना और डॉली की प्रेम कहानी आगे बढ़ती, अचानक डॉली गायब हो जाती है। डॉली के गायब होने का सच जानने के लिए फिल्म देखिए। 
निर्देशक शब्बीर खान ने टुकड़ों टुकड़ों में फिल्म बनाई है, जिसे पहले सीन से ही खींचना शुरू कर दिया जाता है। फिल्म ऐसे मसालों के साथ शुरू होती है, जिनमें कोई नयापन नहीं। कहानी वहीं से लड़खड़ाती चली जाती है। फिल्म का पहला हाफ बहुत लंबा खींचा गया है, जिसकी वजह समझ में नहीं आती। मुन्ना के अनाथ होने से लेकर डांस बनने की कहानी जबरदस्ती खींची गई है। साफ समझ में आता है कि कहानी पर बहुत मेहनत करना जरूरी नहीं समझा गया। 
दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी बेहतर होती है। कुछ मूवमेंट्स भी दिलचस्प बनते हैं, लेकिन बात नहीं बनती। डॉली के गायब होने के ट्रैक के बाद फिल्म का संतुलन फिर से बिगड़ जाता है। कमजोर कहानी और लचर निर्देशन के लिए शब्बीर खान पूरी तरह से दोषी हैं। परफॉरमेंस की बात करें, तो टाइगर डांस में मास्टर हैं और इसके लिए वे जमकर मेहनत करते हैं, लेकिन अब वे खुद को दोहराने के शिकार होने लगे हैं। 
इमोशनल और कॉमेडी सीनों में उनकी कमजोरी अब भी बनी हुई है, जिसकी भरपाई वे एक्शन सीनों से कर लेते हैं। डांस के अलावा एक्शन सीन ही उनकी खूबी है, लेकिन ये कहा जा सकता है कि अपनी पूर्व की फिल्मों में वे बेहतर एक्शन सीन कर चुके हैं। निधि अग्रवाल का चेहरा, उनकी ताजगी और कैमरे के सामने आत्मविश्वास इस फिल्म की खूबी है। ऐसा नहीं लगता कि वे पहली बार फिल्म में काम कर रही हैं। 
नवाजुद्दीन अलग रोल में हैं, जिसको हटके कहा जा सकता है, लेकिन वे ज्यादा ही हट गए हैं। उनको कमजोर किरदार मिला, जिसमें वे मार खाते हैं। डांस में नवाज को देखना अटपटा लगता है। बाकी कलाकार ठीकठाक ही कहे जाएंगे। तकनीकी रूप से फिल्म अच्छी है। एडीटिंग जरूर खराब है। कोरियोग्राफर का काम काबिले तारीफ है। 
ये फिल्म माइकल जैक्सन को ट्रिब्यूट कही जा रही है। उनको ट्रिब्यूट देने के लिए टाइगर से बेहतर चुनाव नहीं हो सकता था, लेकिन डांसिंग से अलग देखें, तो ये औसत दर्जे की फिल्म ही बनकर रह गई, जिसमें बहुत ज्यादा दोहराव है। टाइगर की मेहनत, नवाज की मौजूदगी और निधि का ग्लैमर भी इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर भविष्य नहीं संवार पाएगा। फिल्म का चल जाना मुमकिन तो नहीं लगता। बड़े शहरों में चांस ज्यादा हैं। छोटे सेंटरों पर फिल्म का न चल पाना तय है। 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS