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नाटक ''सद्गति'' के जरिये समाज में व्याप्त कुरीतियों से कराया रुबरू
By Deshwani | Publish Date: 16/7/2017 2:29:31 PM नई दिल्ली, (हि.स.)। ड्रामाटर्जी आर्ट एंड कल्चर सोसायटी ने अलायन्स फ्रेंसिस ऑडिटोरियम , में एक शानदार नाटक ‘सदगति’ का मंचन किया। यह नाटक मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर बनाया गया| इस नाटक को सदी के महान फिल्म डायरेक्टर सत्यजीत रे ने सबसे पहले नाट्य के रूप में पर्दे पर उतारा था।
कई सालों के बाद डायरेक्टर सुनील चौहान ने फिर से इसे नाटक का रुप दिया है। इस नाटक की कहानी जाति-पाति और छुआछूत पर आधारित है। इस नाटक में मुख्य किरदार का नाम दुखिया है जो दलित जाति का है| ‘दुखिया’ अपनी बेटी की शादी के लिए पंडित को बुलाने जाता है लेकिन ब्राह्मण ऊंची जाति का होने के कारण दुखिया को प्रताड़ित करता है जिसके चलते उसकी मौत हो जाती है। पंडित के आंगन में पड़े दुखिया की लाश को छूने में भी हिचकता है। इस नाटक के द्वारा बखूबी से इस मुद्दे और उसकी सच्चाई को कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों के सामने उतारा।
इस नाटक के माध्यम से ये दर्शाने की कोशिश की गई है कि भले ही वक्त बदल गया हो लेकिन अभी भी समाज में जाति पाति को से जुड़े मिथ अभी भी जीवित हैं। यही वजह है कि समाज में व्याप्त कुरीतियों पर यह नाटक एक कटाक्ष है।