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स्माॅग के आगोश में उलझी पड़ी है जिंदगी : सियाराम पांडेय ‘शांत’
By Deshwani | Publish Date: 9/11/2017 4:15:23 PM
स्माॅग के आगोश में उलझी पड़ी है जिंदगी : सियाराम पांडेय ‘शांत’

‘ मत कहो आकाश में कुहरा घना है। यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।’ दुष्यंत कुमार जैसे शायर ने यह बात क्यों कही, यह तो वही जानें लेकिन जब आकाश में घना कुहरा छाया हो, धुंध एक ही जगह ठहर गई हो, दिन में ही रात का मंजर हो, सड़क पर चलना मुश्किल हो और डाॅक्टर घर से बाहर न निकलने की सलाह देने लगें तो घने कुहरे की आलोचना की परवाह करें या जान-माल की चिंता। ऐसे में तो यही कहना मुनासिब होगा कि ‘सब कहो आकाश में कुहरा घना है। आलोचना नहीं,यह लोक हित अभ्यर्थना है। स्माॅग के आगोश में उलझे पड़े हैं राज्य कई, जान निज कैसे बचाएं,अब यही बस सोचना है।’ धुंध की समस्या से दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, पाकिस्तान से लेकर भारत के कई राज्य प्रभावित हैं। इसका सीधा असर जन-जीवन पर पड़ा है। चीन और अमेरिका में भी स्माॅग बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। मतलब स्माॅग का यह वैश्विक स्वरूप सबकी चिंता का विषय है। साल-दर साल स्माॅग की समस्या गहरा क्यों रही है, इसे लेकर भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर विमर्श की जरूरत है। एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा देने भर से स्माॅग की समस्या का समाधान तो होने से रहा। वायु प्रदूषण के कारणों की तह में न केवल जाना होगा बल्कि ईमानदारी के साथ उन कारणों को दूर भी करना होगा। एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ देने मात्र से समस्या का हल होना होता तो यह समस्या कब की दूर हो गई होती। 

ठंड बढ़ते ही दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इसलिए केंद्र सरकार ने दिल्ली और एनसीआर के दायरे में आने वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की तैयारी कर रखी है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्द्धन ने गत दिनों वायु प्रदूषण की समस्या के निस्तारण हेतु दिल्ली और एनसीआर (उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान) के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करने के संकेत दिए थे। इससे पहले इन राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की कई बार बैठकें हुईं लेकिन अपेक्षित परिणाम देखने को नहीं मिले। वायु प्रदूषण को लेकर राज्यों की गंभीरता का आकलन इस बात से भी किया जा सकता है कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने दिल्ली और एनसीआर से जुड़े राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई लेकिन उस बैठक में किसी भी राज्य का कोई भी मंत्री नहीं पहुंचा। इसे लापरवाही की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहा जाएगा? केंद्र सरकार का मानना है कि वायु प्रदूषण की इस जंग में अगर संबंधित राज्य सहयोग नहीं देंगे तो दिल्ली को गैस चैंबर बनने से रोक पाना मुश्किल होगा। 

दिल्ली में जब भी धुंध की समस्या पैदा होती है तो अरविंद केजरीवाल सरकार का एक ही तर्क होता है कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान अपने खेतों में पराली जलाते हैं, इसलिए दिल्ली में धुंध के हालात बनते हैं। एक हद तक दिल्ली सरकार के इस तर्क पर यकीन किया जा सकता है लेकिन दिल्ली में जहरीली धुंध की समस्या का यही एकमेव कारण नहीं है। इसके लिए दिल्ली सरकार की नीतियां भी बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। पराली जलाने को लेकर एक बार फिर हरियाणा और दिल्ली सरकार में ठनी हुई है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ताजा आरोपों पर हरियाणा के दो वरिष्ठ मंत्रियों अनिल बिज और रामबिलास शर्मा ने बेहद तल्ख टिप्पणी की है। इन दोनों मंत्रियों ने कहा है कि दिल्ली को प्रदूषण फैलाने के अपने खुद के कारणों की तलाश करनी चाहिए जबकि केजरीवाल मानते हैं कि दिल्ली में स्मॉग के लिए हरियाणा और पड़ोसी राज्यों से आने वाला धुआं जिम्मेदार है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की मानें तो दिल्ली में प्रदूषण सिर्फ ठंड में ही नहीं होता। राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण साल भर की कहानी है। दूसरे राज्यों पर आरोप लगाने से पहले केजरीवाल सरकार अपने गिरेबान में झांके। दूसरों पर आरोप लगाने की आदत ठीक नहीं है। हम किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा दिल्ली में सर्वाधिक प्रदूषण के लिए केजरीवाल को ही जिम्मेदार मानते हैं। वे उन पर हरियाणा का होने के नाते यहां की स्थिति से पूरी तरह वाकिफ होने के बाद भी राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए गहन आत्मचिंतन और राजनीतिक विमर्श की जरूरत है। मौजूदा समय दोषारोपण का नहीं, अपनी गलतियों को सुधारने का है। 

विचारणीय तो यह है कि दिल्ली-एनसीआर में सघन धुंध छाई है। दृश्यता काफी कम हो गई है। दिन में ही वाहनों का चलाना मुश्किल हो रहा है। पैदल चलने और सांस लेने में लोगों को कठिनाई हो रही है। दिल्ली सरकार को न केवल स्कूलों को बंद करने का आदेश देना पड़ा है बल्कि चिकित्सालयों में भी धुंध को देखते हुए अलर्ट घोषित कर दिया गया है। हरियाणा में भी धुंध के चलते स्कूल बंद कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेस वे पर फैली धुंध की वजह से आगरा से नोएडा जा रहे करीब दस वाहन आपस में टकरा गए। इस हादसे में 24 से अधिक लोग आहत हो गए। सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाना पड़ा है। दिल्ली- एनसीआर में दो दिनों से धुंध छाई हुई है। दिल्ली,गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद और नोएडा के कई इलाकों में दृश्यता शून्य के आसपास है। मौसम विभाग इसे एक सप्ताह तक का संकट मानकर चल रहा है। उसकी मानें तो हवा में स्मॉग का असर अगले तीन दिन तक और अधिक गहराएगा। एनसीआर में हवा में प्रदूषण का स्तर चरम पर है। वातावरण में जहरीली हवा घुली होने की वजह से लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है। बच्चों और बुजुर्गों की हालत बिगड़ रही है। 

धुंध की सघनता की वजह से कई एक्सप्रेस ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है। सड़क और रेल यातायात व्यवस्था चरमरा गई है और इसका असर देश भर में देखने को मिल रहा है। गहरी धुंध की वजह से विमान सेवा भी प्रभावित हो रही है। हालांकि इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब कभी जाड़ा बढ़ता है तो उससे हवा में नमी भी आती है। वायु की गति भी कम होती है जो जहरीले स्माॅग की वजह बनती है। दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंजाब में कल-कारखानों की तादाद कम नहीं है। उससे उठने वाले रासायनिक धुएं भी स्माॅग की वजह बनते हैं। दिल्ली में पहले ही दोपहिया, तिपहिया और चैपहिया वाहनों की तादाद लाखों-करोड़ों में हैं। परिवहन विभाग की मानें तो हर साल दिल्ली में एक लाख नए वाहन सड़क पर आ जाते हैं। देश की राजधानी होने की वजह से रोज तकरीबन एक लाख वाहन दूसरे राज्यों से दिल्ली पहुंचते हैं। कुछ लोग दूसरे राज्य से दिल्ली में रोज नौकरी करने पहुंचते हैं। दिल्ली में पहले ही लाखों की तादाद में ट्रक हैं। देश भर के ट्रक सामान लेकर वहां पहुंचते हैं। यह भी वायु प्रदूषण और सड़क जाम की एक बहुत बड़ी वजह हैं। रेल और विमान के धुएं भी वातावरण में जहर घोलते हैं। अकेले एक कारण हो तो उसे गिना और गिनाया भी जाए लेकिन यहां तो व्यवस्था के सभी कुओं में ही भांग पड़ी है। ऐसे में दिल्ली में एयरलाॅक की समस्या अगर बढ़ती है तो उसे गलत कैसे ठहराया जा सकता है? अकेले किसानों की पराली को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है? कल-कारखानों पर अंगुली क्यों नहीं उठाई जाती। उन्हें अपनी चिमनी उच्च स्तर तक ले जाने की सलाह क्यों नहीं दी जाती? वायु प्रदूषण के लिए अकेले किसानों को दोषी ठहराना न्यायसंगत नहीं है। दिल्ली में बहुतेरे वाहन अपनी अवधि पूरी कर चुके हैं। 15 साल पुराने वाहनों को कालबाधित घोषित करने का प्रयोग भी दिल्ली-एनसीआर में हो चुका है लेकिन अमल के धरातल पर यह कानून कितना लागू हुआ, यह भी किसी से छिपा नहीं है। केजरीवाल सरकार ने स्माॅग की चुनौती से निपटने के लिए गत वर्ष आॅड-इवेन का सूत्र अपनाया था। इससे लोगों को काफी राहत भी मिली थी। हालांकि उनके इस निर्णय को तुगलकी फरमान बताने वाले राजनीतिक दलों की तादाद भी कम नहीं थी। दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटना है तो देश के सभी राज्यों में कारोबारी माहौल सृजित करना होगा। राज्यों से पलायन रुकेगा तभी दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी। 

नासा ने हाल ही में जो दो तस्वीरें जारी की हैं उसमें पाकिस्तान से लेकर भारत के पटना तक धुएं की परत दिखाई दे रही है। इन तस्वीरों में से एक को नासा के मॉडरेट रेजोल्युशन इमेजिंग स्पेक्ट्रो रेडियोे मीटर ने एक्वा सैटेलाइट के जरिए खींचा है। एक दूसरी तस्वीर में एरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ यानि की हवा में मौजूद प्रदूषित कण लाल और भूरे रंग में दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान की एक विमानन कंपनी द्वारा धुंध के कारण विमान आगे ले जाने से गत दिनों इनकार कर दिया गया और उन्हें बस से आगे की यात्रा तय करने का निर्देश आलोचना का विषय बना हुआ है। वैश्विक स्तर पर ख्यातिलब्ध एक बड़े वैज्ञानिक का भारतीय अखबारों में आज ही एक वक्तव्य छपा है कि अगर विश्व में उर्जा के अंधाधुंध प्रयोग का सिलसिला यूं ही चलता रहा तो आगामी कुछ वर्षों में धरती आग के गोले में तब्दील हो जाएगी। उस पर रहना कठिन हो जाएगा। यह चिंता सामान्य नहीं है। आज दुनिया के तमाम देश स्माॅग के कहर से परेशान हैं। उसमें अमेरिका, जापान,पाकिस्तान,भारत और चीन भी शामिल हैं।

मौसम विभाग की मानें तो दिल्ली में एयर लाॅक की स्थिति है। हवा में मौजूद खतरनाक महीन कण एक ही जगह रुक गए हैं। हवा में मौजूद नमी, धूल और धुआं इसेे और खतरनाक बना रहे हैं। स्मॉग में बढ़ते सड़क हादसों से चिंतित हरियाणा सरकार ने स्कूलों का समय बदल दिया है। हरियाणा लगातार तीसरे दिन भी स्माॅग की चादर से ढका है। घने स्मॉग के कारण झज्जर, फतेहाबाद, अंबाला और हिसार सहित कई जगहों पर हादसे हुए। दर्जनों वाहन आपस में टकरा गए। इन हादसों में कई लोग घायल हो गए। रोहतक, सिरसा, जींद, कैथल और अंबाला आदि में भी स्मॉग छाया हुआ है। हवा का जहरीला होना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। प्रदूषण से बचने के सही तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके ही हम देश को स्वस्थ रख सकते हैं। अपनी यातायात व्यवस्था को सुचारु रख सकते हैं। बेहतर होगा कि केंद्र और राज्य मिलकर इस समस्या पर विचार करें। उद्योगपतियों, पर्यावरणविदों की भी इस बावत राय ली जाए। विकास को तो नहीं रोका जा सकता लेकिन विकासजन्य नुकसान की भी अनदेखी नहीं की जा सकती। विकास और विनाश के मध्य संतुलन तो बनाना ही होगा जिससे कम से कम नुकसान हो। हाल ही में देश के कुछ प्रदूषित शहरों की रिपोर्ट छपी है, इसमें कई बड़े शहर और कई प्रदेशों की राजधानियां भी शामिल हैं। देश के स्वच्छता प्रयासों के बीच इस तरह के हालात सुखद संकेत तो नहीं हैं। अब भी न चेते। अपनी आदतें न सुधारी तो कब सुधरेंगे जब सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। 

(लेखक हिंदुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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