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संपादकीय
दहशत के मंजर के बाद कार्रवाई की दरकार : रमेश ठाकुर
By Deshwani | Publish Date: 2/11/2017 1:20:05 PM
दहशत के मंजर के बाद कार्रवाई की दरकार  : रमेश ठाकुर

गोरखपुर बीआरडी हादसे से अभी प्रदेश उभरा भी नहीं था कि एक और बड़ा हादसा हो गया। रायबरेली-एनटीपीसी हादसे की सबसे बड़ी खामी बाहर निकलकर सामने आई है। दरअसल जिस नए थर्मल पावर से भंयकर हादसा हुआ उसे हाल में स्थापित किया गया था। उसका ट्रायल नहीं किया गया था। दूसरी खामी, निपुण विशेषज्ञों की राय के बिना ही प्लांट को लगाकार सीधे काम के लिए चालू कर दिया गया था। सबसे बड़ी गलती एक और सामने आई है कि ब्वायलर के नीचे जलने वाली आग की राख पाइप से छनकर नीचे गिरती है, लेकिन उसका पटला खोला ही नहीं गया। जब गरम राख ज्यादा एकत्र हो गई तो दबाव के चलते भयंकर ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट की तेजगति इस कदर थी कि आसमान में अस्सी फिट उपर तक अंगारे उड़ने लगे। जब आग के गोले फटकर नीचे गिरे तो भंयकर हादसे में तब्दील हो गए। घटना की मुख्य जगह पर एनडीआरएफ की टीम राहत-बचाव में जुट रही। जब हादसा हुआ उस दौरान पूरे प्लान्ट में करीब चार सौ कर्मचारी काम पर थे। मौतों का आंकड़ा 30 तक पहुंच चुका है। अभी भी कई लोगां की स्थिति नाजुक बनी हुई है, वहीं कई श्रमिकों को ठीक होने में लम्बा वक्त लग जायेगा। वह दोबारा काम करने की स्थिति में होंगे भी या नहीं फिलहाल कहा नहीं जा सकता। ओएनजीसी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा खुद मानते हैं कि किसी भी प्लांट का डमी-ट्रायल किया जाता है लेकिन रायबरेली स्थित अपनी छठी यूनिट में एनटीपीसी ने क्यों नहीं किया, कई सवाल खड़े करता है। 

वहीं हादसे का भयावह अधंड़ दृश्य याद करते हुए लोगों के अभी तक रोंगटे खड़े हैं। आग में बुरी तरह जलकर शव दीवारों से टंगे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब आधे घंटे तक आसमान से आग के गोले गिरते रहे। उन गोलों के चपेट में जो कर्मचारी आता गया वह मौत के काल में समाता गया। हादसा इतना भंयकर बताया जा रहा है कि मरने वालों की चीखें तक नहीं निकली। घटना स्थल पर घायलों की चीत्कार सुनकर आसपास के गांव वालों व प्लांन में काम करने वाले कर्मचारियों के मुंह से सिर्फ एक शब्द निकल रहा था कि यह क्या हो गया। उन्होंने इस तरह का मंजर इससे पहले कभी नहीं देखा। कई घंटों तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। डेढ़ सौ से ज्यादा घायलों को रायबरेली व उसके आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा ज्यादा गंभीर मरीजों को राजधानी लखनऊ रेफर कराया गया। घायलों की इतनी भारी तादाद को देखते हुए लखनऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर, लोहिया हॉस्पिटल व सिविल हॉस्पिटल में इंतजाम किये गये। हादसा और बड़ा हो सकता था लेकिन गनीमत रही कि हादसे की तत्काल सूचना पर एनटीपीसी प्लांट की दूसरी यूनिटों में काम कर रहे अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर आनन-फानन में वहां पहुंच गए। उन्होंने आग पर काबू करने के बाद राख के नीचे दबे कर्मचारियों को बाहर निकाला। अगर थोड़ी ही देर हो जाती तो आग पूरे प्लांट में आग फैल सकती थी उससे कोई भी नहीं बच सकता। दूसरे प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों ने घायलों को अपने कंधों पर लादकर सबसे पहले पास ही बने एनटीपीसी हॉस्पिटल में लेकर गए। 

खास बात है कि रायबरेली के ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की बिजली उत्पादन इकाई का जो ब्वॉयलर फटा है वह हाल ही में स्थापित किया गया था। हादसा कैसे हुआ इसकी जांच की जा रही है। लेकिन शुरूआती तौर पर कुछ खामियां निकल कर सामने आ रही हैं, वह चिंतित कर रही हैं। सवाल उठता है कि प्लान्ट को लगाने में तकनीकी विशेषज्ञों की राय क्यों नहीं ली गई? दरअसल अधिकारियों को इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि नई-नवेली 500 मेगावाट की छठी यूनिट इस तरह आग और शोलों से घिरकर मौत का मंजर दिखा देगी, यह शायद ही किसी ने सोचा होगा। हादसे के पीछे जिस किसी की भी खामी सामने आए उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। मरने वालों को पचास लाख तक मुआवजा देना चाहिए।

उत्तर प्रदेश पिछले कुछ समय से लगातार हादसों का शिकार हो रहा है। गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में सैकड़ों बच्चों के मरने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि एक और बड़ा हादसा हो गया। देश में इस समय चुनावी माहौल बना हुआ है। इस हादसे पर भी राजनीति शुरू हो जाएगी। पहली बेहूदा और बेशर्म प्रतिक्रिया जनता दल यूनाइटेट के निलंबित राज्यसभा सांसद अली अनवर की तरफ से आई है। 

उन्होंने रायबरेली में एनटीपीसी में हुई दुर्घटना में असंवेदनशील बयान दिया है। अनवर कहते हैं कि अगर ये सरकार ब्वॉयलर पर गेरुआ रंग चढ़ा देती तो शायद दुर्घटना नहीं होती। इनको शर्म आनी चाहिए कि ऐसे मौकों पर तो कुछ ख्याल रखें। हादसे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई मंत्रियों और नेताओं ने दुख जाहिर किया है। राहुल गांधी रायबरेली पहुंच रहे हैं। वह इस समय गुजरात में चल रही अपनी नवसर्जन यात्रा हैं लेकिन यात्रा को विराम देकर उत्तर प्रदेश के रायबरेली जाएंगे। जहां वह एनटीपीसी ऊर्जा संयंत्र में हुए विस्फोट के मृतकों और घायलों के परिजनों से मिलेंगे। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुआवजे के ऐलान के साथ उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं। योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायल हुए लोगों को 25-25 हजार रुपये देने को कहा है। मतलब जुबानी और कागजी जो भी कुछ किया जाना है उसे फिलहाल किया जाएगा। लेकिन इस सबके बीच उनका क्या? जो इस हादसे में अपनी जाने गवां चुके हैं। किसी का भाई बिछड़ गया, किसी का सुहाग उजड़ गया। बच्चे अनाथ हो गए। उनका दर्द शायद ही कोई महसूस कर सके। हमेशा से होता है आया है कि कंपनी प्रशासन की कमियों की वजह से अनगिनत लोगों की मौतें हो जाती हैं। हादसे के बाद कुछ दिन जांच होती है और जैसे-जैसे समय गुजरता है यादें भी धुंधली पड़ जाती हैं। शायद यही इस हादसे पर भी होगा, लेकिन अगर वास्तव में हम ऐसी वीभत्स घटना भविष्य में नहीं दोहराना चाहते हैं तो इसके लिए पुख्ता इंतजाम करने होंगे। किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं हो ऐसी व्यवस्था करनी होगी। यूनिट के जिस तरह से हड़बड़ी में शुरू करने की बात सामने आ रही है, ऐसे में जिम्मेदारों पर कड़े ऐक्शन की भी दरकार है। 

(लेखक स्वतंत्र स्तम्भकार हैं)

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